गीत/नवगीत

“गीत” 

बिटिया बैठी है डोली ससुराल की

आए सज के बाराती खुशहाल की…….

कभी बिंदियाँ हँसे कभी मेंहदी खिले

कभी नयना झरे कभी सखियाँ मिले

ताकी झांकी रे होली सु-गुलाल की

बिटिया बैठी है डोली ससुराल की……..

कहीं मैया खड़ी कहीं भैया खड़े

कहीं बाबू ढ़लें कहीं छहियाँ मिले

आँसू आँसू रे लाली पट गाल की

बिटिया बैठी है डोली ससुराल की…….

कहीं सूरज तपा कहीं चंदा ढ़की

कहीं सागर भरा कहीं गागर भरी

चुनर धानी रे लोरी सुरताल की

बिटिया बैठी है डोली ससुराल की…….

सखी गलियाँ भली झुकी कलियाँ भली

जहाँ माली भला वहीं बगिया खिली

जा री जा री तूँ रानी निज हाल की

बिटिया बैठी है डोली ससुराल की……..

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ