सामाजिक

निजी अस्पताल कमाई का जरिया

पिछले दिनों चिकित्सातंत्र की तीन खबरें अखबारों की हिस्सा बनी। जो समाज को झकझोरने और सरकारी व्यवस्था की नींद हराम करने वाली थी। पहली निजी अस्पताल इलाज के लिए 16 लाख रुपए का मांग करता है। दूसरी घटना डॉक्टर दो नवजात को मरा घोषित कर देते हैं, लेकिन जब शव को अस्पताल से घर ले जाया जा रहा होता है, तो बीच रास्ते में ही एक बच्चे में हलचल महसूस की जाती है। तीसरी घटना फ़र्जी जांच आदि के आड़ में डॉक्टरों द्वारा पैसे कमाने की बात सामने आती है। ऐसे में क्या देश के भीतर स्वास्थ्य की पहुँच दूरदराज और ग़रीब की जद से दूर हो रही है? क्या अपने पेशे की मूलभूत एअबीसीडी का ज्ञान नहीं डॉक्टरों के पास नहीं है? बेंगलुरु में करोड़ों की संपत्ति और ऐसे दस्तावेज बरामद हुए हैं, जो बताते हैं कि चिकित्सकों और जांच केंद्रों की मिलीभगत से मरीजों को लूटा जा रहा है। ऐसे में जीवन जीने का संवैधानिक अधिकार कहीं न कहीं अधर में लटक जाता है। एक तरफ़ सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र संसाधानों की कमी से जूझ रहें हैं, तो उसका फ़ायदा निजी अस्पताल भरपूर तरीके से उठा रहें हैं।

शायद चिकित्सक को धरती पर ईश्वर का अवतार माना जाता है, लेकिन अब चिकित्सा का पेशा सेवा का न होकर येन-केन प्रकारेण धन कमाने के कारोबार में बदलता जा रहा है। बेंगलुरु के मामले ने एक बार फिर यह रेखांकित किया है कि हमारे देश की चिकित्सा व्यवस्था कई स्तरों पर बिगड़ी हुई है और उसे बेहतर बनाने की जरूरत है, अन्यथा मरीज डॉक्टरों के झांसे में आकर आर्थिक दोहन का शिकार होते रहेंगे। इससे बचाव के लिए केंद्र और राज्यों की सरकारों को निजी स्वास्थ्य सेवाओं के नियमन और निगरानी की उचित व्यवस्था बनानी होगी। जिससे गरीब लोगों को भी स्वास्थ्य सुविधाएं मयस्सर हो सकें, और आवाम फर्जी जांच, दवाओं और सामान के नाम पर लूटे से बच सके। स्वास्थ्य को संवैधानिक अधिकार बनाने की देश में बात होती है, लेकिन सरकारों से लेकर नीति आयोग तक, सबका रवैया स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने का लगता है। फ़िर अगर निजी अस्पताल कमाई का जरिया मात्र बनकर रह गए, तो आम और ग़रीब आदमी को तो संवैधानिक रामराज्य में जीवन जीने का अधिकार बचा नही। तो क्यों न आज के दौर में हम विदेशों के सार्वजनिक चिकित्सा तंत्र से कुछ सीख ले। जहाँ पर निजी अस्पतालों के साथ सरकारी अस्पतालों की अपनी साख कायम है।

महेश तिवारी

मैं पेशे से एक स्वतंत्र लेखक हूँ मेरे लेख देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छपते रहते हैं। लेखन- समसामयिक विषयों के साथ अन्य सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर संपर्क सूत्र--9457560896