कविता

मैं किसान हूँ!

देश की आन ,बान और शान हूँ,
हाँ! मैं किसान हूँ!

चीर कर सीना धरती का,
महकती फसल का सम्मान हूँ!

भूमिपुत् हूँ मैं, हाँ! मैं ही सृष्टि का पञ्च प्रधान हूँ!

पालक हूँ संसार का, अथक ,निर्भय परिश्रम की पहचान हूँ!
हाँ! मैं किसान हूँ!

लहू से सींचकर ,पानी की आँखे मिचकर , पेट भरता हूँ सबका, अपनी खाल खिंचकर,
बिलखती भेड़ो में बेजुबान हूँ!
हाँ ! मैं किसान हूँ!

मिट्टी को चूमकर ,हवाओ को सूंघकर, मौसम का विज्ञान हूँ!
हाँ! मैं किसान हूँ!

लूट जाता हूँ ठगों के झुँड से,
प्रकर्ति में इकलौता जिन्दा ईमान हूँ!
हाँ ! मैं किसान हूँ!

भूख ,प्यास की तड़फ ,मौसम की मार से पकी मैं चटान हूँ!
हाँ! मैं किसान हूँ!

पूरी धरती का स्वामी , अम्बर का प्रतिपाल हूँ,
शांत हूँ, अशांत महाकाल हूँ!

खून के कतरे कतरे का मैं लाल निशान हूँ!
“हाँ! मैं किसान हूँ”..

पवन अनाम

पवन अनाम

नाम: पवन कुमार सिहाग (पवन अनाम) व्यवसाय: अध्यनरत (बी ए प्रथम वर्ष) जन्मदिनांक: 3 जुलाई 1999 शौक: कविता ,कहानी लेखन ,हिंदी एवं राजस्थानी राजस्थानी कहानी 'हिण कुण है' एक मात्र प्रकाशित लघुकथा ! शागिर्द हूँ! व्हाट्सएप्प नंबर 9549236320