कविता

शब्दों के बाण 

शब्दों के बाण  आप ऐसे तो न  मारिये ,
कुछ तो सोचिये कुछ  तो विचारिये ।
चुभते है तो ये सबको शूल की  तरह ,
क्या लगते है ये मुझको फूल की तरह ।
कुछ  तो गौर कीजिये,
      औरों को बताइये ,
मुख खोलने से पहले जरा  तो विचारिये ।
ये तरकश के तीर नही जो
    वापस आ जायेंगे ,
घाव गहरा  करेंगे और
    दिल पर नश्तर  चुभायेंगे ।
चुपके से दिल रोयेगा पर आप मुस्करायेंगे ,
नासूर कितना  गहरा है
     ज़माने  को नही दिखायेंगे ।
अजी सुनिये तो और ज़रा  गौर फरमाइये ,
इस दर्दे दिल पर मरहम तो लगाइये ।
हम भी इंसान है कुछ
      आप ही की तरह ,
दिल में दर्द होता है
आप ही की तरह ।
इसलिए  कुछ  बोलने से पहले
दस बार  सोचिये
शब्दों को तौलिये
     फ़िर अपना मुख भी  खोलिये ।
— डा माधवी कुलश्रेष्ठ

डॉ. माधवी कुलश्रेष्ठ

पिता का नाम स्व . श्री हरेंद्र पाल कुलश्रेष्ठ पति का नाम श्री अरविन्द कुलश्रेष्ठ वर्तमान पता सी -14 न्यू आगरा फोन न . 9412426559 8218644036 ;8193909436 शिक्षा . एम॰ ए एम .एड पी .एच डी . (हिन्दी ..मनोविज्ञान इतिहास और संगीत गायन ) व्यवसाय - प्रधानाचार्य काव्य कलश सम्मान , भाव-भूषण सम्मान , और भी कई शाखाओं में उच्च पदों पर रहकर समाज सेवा कर रही हूँ लेखन कार्य भी करती हूँ । साझा संकलन भी छप चुके हैो