मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

मुक्तक तेरे चार गुण, कहन-शमन मन भाव।

चाहत माफक मापनी, मानव मान सुभाव।

चित प्रकृति शोभा अयन, वदन केश शृंगार-

समतुक हर पद साथ में, तीजा कदम दुराव॥-1

यति गति पद निर्वाह कर, छंद-अछन्द विधान।

अतिशय मारक घाव भरि, मलहम मलत निदान।

वर्तन-नर्तन चिन्ह लय, कंठ सुकोमल राग-

करुण-दरुण दुख-सुख कहे, मुक्तक मोह सुजान॥-2

महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ