लघुकथा

रिश्तों की बुनियाद

“क्या बुराई है उस लडके में, बस तुम्हारे रूतबे के बराबर नही लेकिन अच्छे परिवार से है, . हमारी जाति का नही लेकिन बह भी सभ्य परिवार से है, थोडा ऊंचा नीचा चलता है और अपनी बेटी भी तो उससे बहुत प्यार करती है…” माँ अपनी बेटी के लिये समर्थन मांग रही थी।

“शादी जैसै रिश्ते तय करते समय औरतों की सलाह नही लेते, उनकी समझ दूर तक नही जाती…क्योंकि वह दिल से सोचती है, दिमाग से नही, जरा जरा सी बात पर भावनात्मक हो जाती है.” पिता भी अपनी जिद पर अडे थे बेटी की शादी अपनी बराबरी के परिवार से करने के लिये।

“हां तभी ऐसै रिश्ते बन्धन के बाद दिमाग से निभाये जाते है दिल से नही, जिनकी कीमत बुझे अहसास, मरी हुई भावनायें चुकाते है, रह जाता है तो बस समझौता ” मां के दिल से निकले शब्द जुबान तक फिसल गये…लेकिन बेअसर रहे।

रजनी चतुर्वेदी

रजनी बिलगैयाँ

शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट कामर्स, गृहणी पति व्यवसायी है, तीन बेटियां एक बेटा, निवास : बीना, जिला सागर