धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मीरा बाबा (जेन खां) आज भी बैठे हैं हिन्दू मंदिरों में भगवान् बनकर!

हजारों वर्षों से सनातन को नष्ट करने की परम्परा चली आ रही है. पूरी दुनिया जानती है जब से दो धर्मों (पंथों) इस्लाम और ईसाईयों का उदय हुवा है तब से ही सनातन धर्म का सबसे अधिक अहित किया जा रहा है. लाखों मंदिर तोड़े गए करोड़ों लोगों को काटा गया. करोड़ों को अपने मजहब में मिला लिया गया और कुछ हिन्दुओ का बेकूफ़ बना कर पीर फ़कीर भगवान बनकर उनके मंदिर में आ बैठे और अपनी पूजा करवाने लगे. भोले-भाले हिन्दू इनके कारनमाओं को नहीं समझ पाए और आज भी बड़ी शान से इन्हें अपने मंदिरों में पूज रहे हैं और इनसे मन्नत मांगने इनकी कब्रों पर जाकर माथा फोड़ते हैं और चढ़वाना चढ़ाते हैं, इन्हें बकरों की बलि देते हैं.

मित्रों आज मैं बात कर रहा हूँ अमरोहा एवं गढ़मुक्तेश्वर में सदियों से पूजे जा रहे मीरा (जेन खां) बाबा की, जिनकी कब्र पर प्रतिवर्ष लाखों हिन्दू अपनी नई नवेली दुल्हनों को लेकर आते हैं और दो चार दिन इनकी रेती (क्षेत्र) में आकर रहते हैं तथा जरूरत की सभी वस्तुवे घर से लाते हैं यहीं खाना पकाते हैं कहते हैं और जेन खां को चढ़ा कर इनकी पूजा अर्चना करते हैं. यहाँ की मान्यता है की जेन खां के समय में जिस भी हिन्दू घर में शादी होती थी, दूल्हे को शादी के तुरंत बाद अपनी नई नवेली दुल्हन को दो चार दिन के लिए बाबा के यहाँ छोड़ना पड़ता था. नहीं तो बाबा गुस्सा हो जायेंगे और मिर्त्यु दंड दे देंगे. जिस कुप्रथा को आज भी हिन्दू बड़ी शान से ढो रहा है. जेन खां का एक और कहना था की जो भी हिन्दू मॉस खाना चाहता है वो पहले उन्हें बकरे की बलि दे फिर वो मॉस खा सकता है.

बाबा जेन खां (मीरा) का एक बड़ा मंदिर अमरोहा में है जहाँ पर माँ महाकाली की बड़ी प्रतिमा बनी है तथा प्रतिमा के बराबर में जेन खां एवं उनके एक चेले की कब्र है. मंदिर के बाहर हनुमान जी की बड़ी प्रतिमा एवं एक तालाब भी बना है. यहाँ पर प्रति वर्ष लाखों हिन्दू आते हैं और जेन खां बाबा को बकरे की बलि चढ़ाते हैं.

धर्मवीर सिंह पाल

फिल्म राइटर्स एसोसिएशन मुंबई के नियमित सदस्य, हिन्दी उपन्यास "आतंक के विरुद्ध युद्ध" के लेखक, Touching Star Films दिल्ली में लेखक और गीतकार के रूप में कार्यरत,