कविता

मेरी पाती तुम्हारे नाम

कुछ पल गुजारे थे
तुम्हारी जुल्फों के साये में
उन पलों को भूल नहीं सकता
मैं दिन-रात मगन रहता
देख खुशी मेरी
हंसते थे धरती और गगन
समय बदला और साथ छूटा
मेरा जीना हुआ हराम
मेेरी पाती तुम्हारे नाम |

सात समुन्दर पार
तुमसे मिलने के
स्वप्न देखूं हजार
रोज सूरज उगता है यहाँ
कैसा उगता होगा वहाँ
सोच-सोच दिन काटूँ
लगा के तस्वीर तुम्हारी सीने से
मेरी होती सुबहो-शाम
मेरी पाती तुम्हारे नाम |

करना तुम इन्तजार
बढे़गा अपना प्यार
सहलेना दर्द जुदाई का
जब अंधेरा छट जायेगा
भोर का संदेशा आयेगा
क्षण, दिन, महीने, साल
बस ऐसे ही गुजर जायेंगे
खत्म होंगे अपने सारे गम
मेरी पाती तुम्हारे नाम |

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111