कविता

राम मेरे नही, राम तेरे नही

राम मेरे नही राम तेरे नही , राम सनातनियों के है
राम हम सबके है किसने कहा भाजपाइयों के है

जिसने सीमा तय की मर्यादा की , धर्म संसद की
राम उनके जीवन मे प्रस्फुटन कर दे आनन्द की

जो जुवां राम नाम से खुले राम पर ही विराम हो
उस अंग -अंग में मेरे श्री राम सदा विराजमान हो

राम पर बयानबाजी से नेताओ तुम बाज आओ
राम मंदिर निर्माण में एक साथ एक राग गाओ

जिसने जीती हो लंका बजाया हो सत्य का डंका
उस वीर तपस्वी राम के जन्म पर तुन्हें ना हो शंका

करना पड़े चाहे तुम्हे अब दल दल से समझौता
पर आताताइयो को ना दो राष्ट्र में अनचाहा न्योता

कुछ मुट्ठी भर लोग मेरे सन्त की कुटिया बसा देंगे
राष्ट्र से क्या विश्व से आतंक की लुटिया डूबा देंगे

सतयुग से अजेय इस व्यवस्था को क्या कोई रोकेगा
पाकिस्तानी हो या अफगानी, जो आया वोई भोगेगा

हिन्दुस्तांन में राहुल को इंदिरा का पथ अपनाना होगा
हो तुम्ही एकलौते चाणक्य शाह को ये भुलाना होगा

राम की हो जयकार हिन्दू को हनुमान बनना होगा
शब्द वाण से नापाक इरादों का नरसंहार करना होगा

संदीप चतुर्वेदी “संघर्ष “

संदीप चतुर्वेदी "संघर्ष"

s/o श्री हरकिशोर चतुर्वेदी निवास -- मूसानगर अतर्रा - बांदा ( उत्तर प्रदेश ) कार्य -- एक प्राइवेट स्कूल संचालक ( s s कान्वेंट स्कूल ) विशेष -- आकाशवाणी छतरपुर में काव्य पाठ मो. 75665 01631