कविता

उड़ान बाकी है

तिनकों को जोड़कर
बना घोंसला हमारा
इस प्यारे ‌से घोंसले में ।
अभी-अभी जन्मी हूँ।
सुकोमल नरम सी
नन्हें से परो का निकलना बाकी है
दिन भर खाने की तलाश में
माँ का चुग्गा लाना बाकी है।
भूख मिटा देती है माँ
खुद कभी -कभी रह जाती भूखी
रोज थोड़ा थोड़ा उडना
माँ हमें सिखाती है
होंसला बुलंद हैं
एक दिन होगा सपना पूरा
उड़ान बाकी है

अर्विना गहलोत

जन्मतिथि-1969 पता D9 सृजन विहार एनटीपीसी मेजा पोस्ट कोडहर जिला प्रयागराज पिनकोड 212301 शिक्षा-एम एस सी वनस्पति विज्ञान वैद्य विशारद सामाजिक क्षेत्र- वेलफेयर विधा -स्वतंत्र मोबाइल/व्हाट्स ऐप - 9958312905 ashisharpit01@gmail.com प्रकाशन-दी कोर ,क्राइम आप नेशन, घरौंदा, साहित्य समीर प्रेरणा अंशु साहित्य समीर नई सदी की धमक , दृष्टी, शैल पुत्र ,परिदै बोलते है भाषा सहोदरी महिला विशेषांक, संगिनी, अनूभूती ,, सेतु अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समाचार पत्र हरिभूमि ,समज्ञा डाटला ,ट्र टाईम्स दिन प्रतिदिन, सुबह सवेरे, साश्वत सृजन,लोक जंग अंतरा शब्द शक्ति, खबर वाहक ,गहमरी अचिंत्य साहित्य डेली मेट्रो वर्तमान अंकुर नोएडा, अमर उजाला डीएनस दैनिक न्याय सेतु