कविता

मेरी सफलता

हाँ आज मैं निराश हूँ
हताश हूँ… उदास हूँ…
लोगों की हंसी का पात्र हूँ
क्योंकि मैं बेरोजगार हूँ !
मेरी असफलताओं का रोज-रोज मजाक बनता है
अपने-परायों से
खाता हूँ तरह-तरह के ताने…
उलाहने…
मेरी पढ़ाई-लिखाई की डिग्रियां
अब महज रह गईं हैं कागज के टुकडे
और इनके साथ ही मेरे सपने हैं सिकुडे |
किन्तु मैं अभी रूका नहीं…
झुका नहीं… टूटा नहीं…
मैं तय कर चुका हूँ
चलना, सिर्फ चलना…
मुझे आगे बढ़ना है
सफल होना है
मेरा प्रयास
सिर्फ चलना है
कभी तो मिलेगी सफलता
एक बार तो मिलेगी सफलता
और एक बार मिली तो
सबके उपहासों का जवाब होगी
मेरी सफलता ||

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111