कविता

कविता-सच का सामना!

दिल मे डर है,किसको, क्या बताये कौन ।
सोचते कयी लोग है,सामने आये कौन ।।

देखकर भी हम, अनजान बने रहते है ।
जानकर भी बोल, दबी जबान कहते है।।

गली-गली मे बुरे लोग,काला बाजारी है।
आसमान थक गया,लगता जमी हारी है।।

कहाँ से शुरू करे, बुराई को मिटाने की।
आदत जाती नही,खाने और खिलाने की।।

गले मे बिल्ली के,जंजीर को फसाये कौन।
परेशान जहाँ है पर,सामने पहले आये कौन।।

जगत मे ताप की सीमा, बहुत बढ रही हृदय*।
लाखों रावण है,लाये तो इतने राम लाये कौन।।

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से