गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जब-जब सब कुछ आम करोगे।
खुशियाँ भी नीलाम करोगे।।
अगर कहोगे दिल की बातें।
ख़ुद को तुम बदनाम करोगे।।
उदयाचल के सूरज हो तुम।
ढलकर क्या तुम शाम करोगे?
बोल उठेगें पत्थर भी जय।
जब तुम अच्छा काम करोगे।।
हो जाओगे उतने तनहा।
जितने ऊँचे दाम करोगे।।
रिश्तों में नफ़रत ख़ुदग़र्जी।
कब तक उन्हें सलाम करोगे?
इश्क़ सदाकत की दौलत तो।
जीवन भर आराम करोगे।।
इसी तिलिस्मी दुनिया को तुम।
केशव पावन धाम करोगे।।
सह लोगे हर आँधी – तूफाँ।
‘अधर’ यकीं जब राम करोगे।।
शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- vshubhashukla@gmail.com