कविता

कविता-मेरा भारत!!

जहाँ राम नाम का जप चलता हो,
हो राधाकृष्ण की पूजा ।
सारे जहाँ मे कही मिला ना,
भारत जैसा दूजा ।।

उसी धरा को आज पुनः ,
है दुष्टो ने नरक बनाया ।
अपना अपना स्वारथ लेकर,
है डेरा पुनः जमाया ।।

कंसो के इस दमन चक्र मे,
धरती पूरी काप रही।
इतिहास वही दुहराया है लगता,
दुनिया पूरी भाँप रही ।।

मानवता अब तोड़ रही दम,
कायरता है भारी ।
आँखें बंद कर सभी है बैठे,
नंगी होतीं नारी।।

अपनी अपनी सोच लिए सब,
बैठे आँख झूकाये।
चौराहों पर लूट रही इज्जत,
कैसे कोई बचाये।।

कायर बनी, वीरो की धरती,
भुजा नही अब फडके।
गीता कहती शस्त्र उठाओ,
जीतो दुनिया लड़के ।।

स्वाभिमान गर जिन्दा हो तो,
फिर अर्जुन बन जाओ।
फाड़ दो सीना दुर्योधन का,
भारत का मान बढाओ।।

युगों युगों से इस धरती पर,
जब भी पापी आये।
हमने मिलकर लड़ा युद्ध है,
नामों निशा मिटाये ।।

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से