बाल कविता

नमकीन पसीना

चले मेला आओ भालू भाई

पहनो सूट, बूट और टाई

देखो बाहर शीत लहर है

ठण्डी हवा चारो पहर है

आप हो मेले के महाराजा

खेल होगा और बजेगा बाजा

आओ आओ जल्दी आओ

मेहनत के बाद रबड़ी खाओ

आज में हम तो जीते हैं

भालू कहाँ अब दीखते हैं

यह तो मैं खुद को ही बोला

भालू नहीं मैं तो हूँ भोला

मेले में जहाँ रौनक होगी

दो पैसे की आमदनी भी होगी

आओ चले संग साथ हम

मेहनत करें दिन-रात हम

तुम को शहद मिल जाता है

हमे भी यह बहुत भाता है

मीठा शहद पसीना माँगे

बहे यह और सुख संग टाँगे

उठो उठो खुद को पहचानो

बनो भालू या मनु बन जाओ

मेहनत से पर न घबराओ

खेल खेल में भी सीखो जीना

मीठा लगेगा नमकीन पसीना

— कल्पना भट्ट

कल्पना भट्ट

कल्पना भट्ट श्री द्वारकाधीश मन्दिर चौक बाज़ार भोपाल 462001 मो न. 9424473377