कविता

जय हो बाबा भोले शंकर

भक्तों के भक्ति की भाषा

त्याग और तप की परिभाषा

पर्वत है चरण को चूम रहा

नमन करते देव भाष्कर

जय हो बाबा भोले शंकर

जय हो बाबा भोले शंकर

पुष्प सुमन बरसाते इंद्र

देवियां गाती मधुर भजन

देख हर्षाती चोटी में गंगा

नारद जी पूज रहे चरण

प्रभु आसन कैलाश जी को

नमन कर रहा है पुष्कर

जय हो बाबा भोले शंकर

जय हो बाबा भोले शंकर

मां पार्वती भी पुल्कित हैं

पति परमेश्वर के आगे

पूरा संसार झुका हुआ

मानसरोवर के आगे

गणपति वंदन करते

मिला के कार्तिक जी से स्वर

जय हो बाबा भोले शंकर

जय हो बाबा भोले शंकर

विक्रम कुमार

विक्रम कुमार

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