लघुकथा

दो लघुकथायें – परिभाषा & पुनीत कार्य

परिभाषा

गर्मियों की छुट्टियों में एक श्रीमान के यहाँ उनकी साली आई ।श्रीमान की पत्नी की आवाज बहुत ही सुरीली थी । वो अपनी नन्ही सी बेटी को अक्सर लोरी गा कर सुलाती थी । जब वो लोरी गा रही थी तब श्रीमान की सालीजी ने उस लोरी को रेकार्ड कर वीडियो बना लिया सोचा दीदी इतना अच्छा गाती है । में घर जाकर माँ को दिखाउंगी । सालीजी कुछ दिनों बाद घर चली गई । कुछ दिनों पश्च्यात श्रीमान की पत्नी को गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया काफी इलाज करने के उपरांत वह बच नहीं पाई ,चल बसी । उधर पत्नी की मृत्यु का गम और इधर नन्ही बच्ची को सँभालने की चिंता । जब रात होती बच्ची माँ को घर में नहीं पाकर रोने लगती हालाॅकि वो अभी एक साल की ही थी । कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या किया जाये । सालीजी आई तो उसने लोरी वाला वीडियो जब बच्ची को दिखाया तो वो इतनी खुश हुई और उसके मुँह से अचानक “माँ “शब्द निकला और हाथ दोनों माँ की और उठे मानो कह रहे थे माँ मुझे अपने आँचल में ले लो तभी टीवी पर दूर गाना बज रहा था -माँ मुझे अपनेआँचल में छुपा ले गले से लगा ले की और मेरा कोई नहीं । उस समय के हालत से सभी घर के सदस्यों की आँखों में अश्रु की धारा बहने लगी । ममत्व और भावना की परिभाषा क्या होती है किसी को समझाना नहीं पड़ा ।
— संजय वर्मा “दृष्टि ”

पुनीत कार्य

रंगबिरंगी चिड़ियों को दुकान में बिकते देख पत्नी ने दो चिड़िया खरीद ली । घर लेकर उनके लिए दाना पानी नियमित रूप से देना दिनचर्या में शामिल हो गया । उन चिड़ियों के नाम भी रख दिए गए । अब ऐसा लगने लगा मानो वे घर के सदस्य हो ।जब कभी बाहर जाना हो तो उनके देख -भाल की चिंता सताती । समय बिता तो उनकी संख्या दस बारह हो गई । उन्हें सम्भालना मुश्किल सा लगने लगा । एक दिन विचार किया कि क्यों न हम इन्हे चिड़ियाघर रख आए । चिड़ियों को चिड़िया घर दे आए । जब उन्हें देकर वापस जाने लगे तो पत्नी ने उन्हें उनके दिए नाम से पुकारा तो वे अपने पंख फड़फड़ाने लगे । ऐसा लग रहा था मानों बच्चे अपनी माँ को पुकार रहे हो । आँखों में आँसू की धारा बह निकली ,मन कह रहा था की वापस घर ले चले ।तब महसूस हुआ की अपनों से दूर होने की टीस कैसी होती है ।चिड़ियों को छोड़ते समय की उठी टीस से आँखों में आंसू गिरने लगे । घर पर आये तो उन रंग बिरंगी चिड़ियों की गौरेया दोस्त बन गई थी वो उन्हें न पाकर शोर करने लगी ।गोरेया के लिए दाना -पानी और खोके का घर बनाकार उसका भी नाम रखकर उसे पुकारने लगे मानों वो भी हमारे घर की सदस्य हो । एक अलग ही प्रकार की अनुभूति महसूस हुई मानो कोई पुनीत कार्य किया हो ।

— संजय वर्मा “दृष्टि ”
125 शहीद भगत सिंग मार्ग
मनावर जिला -धार (म प्र

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच