कविता

कभी आना मेरे पास

कभी आना मेरे पास
बस निहारना नयनों में भरे प्यार से
भींग जाए तन-मन मेरा
उस प्यार के एहसास से।

कभी आना मेरे पास
बस छूना मुझे एक अनोखे अंदाज से
हो जाये झंकृत अन्तस् मेरा
मैं नृत्य करूँ उस झंकार पे।

कभी आना मेरे पास
बस एक आलिंगन जैसे जकड़े हों मोहपाश से,
मुक्ति न मिले हमें
बंधे रहें आजीवन नागपाश से।

कभी आना मेरे पास
बस अधर मिले ऎसे प्रगाढ़ से
प्यास बढ़ती रहे
कभी तृप्ति ना मिले इस प्यास से।

कभी आना मेरे पास
बस दाखिल होना रूह तलक आहिस्ते से
दो रूहें हो जाएं एकाकार
मुक्त ही रहें सदा मोक्ष की दरकार से।

कविता सिंह

पति - श्री योगेश सिंह माता - श्रीमति कलावती सिंह पिता - श्री शैलेन्द्र सिंह जन्मतिथि - 2 जुलाई शिक्षा - एम. ए. हिंदी एवं राजनीति विज्ञान, बी. एड. व्यवसाय - डायरेक्टर ( समीक्षा कोचिंग) अभिरूचि - शिक्षण, लेखन एव समाज सेवा संयोजन - बनारसिया mail id : samikshacoaching@gmail.com