गीतिका/ग़ज़ल

परिश्रम

मेहनत करने वालों को कभी न होती थकान
परिश्रम करते लगन से और करते श्रमदान

गोद में प्यारी बिटिया,मातृत्व से भरा प्यार
दो वक्त की रोटी कमाना,राह कठिन समान

थामा हथौड़ा हाथ में,न फैलाये दर पर हाथ
स्वाभिमान मन में है,न करे कभी गुणगान

गर्म लोहे को पीटकर,अनवरत करती काम
मेहनत के बदले फल न मिले,न मिले सम्मान

संघर्षों से जूझकर चलाती अपना घर परिवार
सृष्टि की धुरी माँ कहलाती,यही माँ की पहचान।

सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा

सुमन अग्रवाल "सागरिका"

पिता का नाम :- श्री रामजी लाल सिंघल माता का नाम :- श्रीमती उर्मिला देवी शिक्षा :-बी. ए. ग्रेजुएशन व्यवसाय :- हाउस वाइफ प्रकाशित रचनाएँ :- अनेक पत्र- पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित। सम्मान :- गीतकार साहित्यिक मंच द्वारा श्रेष्ठ ग़ज़लकार उपाधि से सम्मानित, प्रभा मेरी कलम द्वारा लेखन प्रतियोगिता में उपविजेता, ताज लिटरेचर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, साहित्य सुषमा काव्य स्पंदन द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, काव्य सागर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कहानीकार, साहित्य संगम संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, सहित्यपिडिया द्वारा लेखन प्रतियोगिता में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित। आगरा