गीत/नवगीत

सरसी छंद गीत – मुखौटा

विविध भाँति के सजा मुखौटे,जग में खुली दुकान ।
भीतर कौन छुपा है कैसे, हो किसकी पहचान ।
हर कोई है लेने वाला ,भारी लगती  भीड़ ।
मुख पर ओढ़ मुखौटा चलते ,नहीं समझते पीड़ ।
अहसासों का विक्रय करके ,बनते हैं धनवान ।
भीतर कौन छुपा है कैसे, हो किसकी पहचान ।
इन्ही मुखौटों बीच छुपे कुछ ,कुटिल भाव के लोग ।
विवश हृद की विवशताओं का ,करते हैं उपभोग ।
छल ,बल का व्यवसाय चलाते ,नकली धर मुस्कान ।
भीतर कौन छुपा है कैसे, हो किसकी पहचान ।
 प्रतिघातों से और घात से  ,खेलें निशिदिन खेल ।
स्वप्न  नैन से छीन लिए ज्यों ,प्रथक दिए से तेल ।
क्या बिसात है शर्म लाज की , बेंच दिया ईमान ।
भीतर कौन छुपा है कैसे, हो किसकी पहचान ।
हाँ..हम भी क्या रहे अछूते ,उलझ मुखौटों बीच ।
दाग लगा अपने तन भी जब ,डाला कंकड़ कीच ।
हाथ किये कालिख में काले ,मिटा मान  सम्मान ।
भीतर कौन छुपा है कैसे, हो किसकी पहचान ।
रीना गोयल ( हरियाणा)

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर