बाल कविता

बाल कविता – चिड़िया

फुदक-फुदक कर नाचती चिड़िया,
दाना चुंगकर उड़ जाती चिड़िया
हरी-भरी सुंदर बगिया में,
मीठे-मीठे गीत सुनाती चिड़िया
अपने मिश्रीघुले बोलों से
बच्चों का मन चहकाती चिड़िया
नित मिल-जुल कर आती,
आपस में नहीं झगड़ती चिड़िया
प्रेमभाव से रहना सिखलाती,
बहुत बड़ी सीख देती नन्हीं चिड़िया
तरह-तरह के रुप-रंग वाली,
लाल, हरी, काली, नीली, पीली चिड़िया
फुदक-फुदक कर नाचती चिड़िया,
दाना चुंगकर उड़ जाती चिड़िया
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111