कविता

सेहत

जब जन्म लिया तो खुद को,
गाँव में पाया था ।
उपरवाले के आशीर्वाद से,
मैं इस दुनिया में आया था ।
अपने मम्मी-पापा के लिए,
मै बहुत ही प्यारा था ।
उनके बुढ़ापे के जीवन का,
केवल मै एक सहारा था ।
उस छोटे से गाँव में रहकर,
मैं कभी बिमार ना हुआ ।
धीरे-धीरे समय बीता और,
पढ़ने को मै शहर गया ।
आज शहर में रहता हूँ मैं,
और रोज बिमार पड़ता हूँ ।
उस छोटे से गाँव के बदले मैं,
शहर में रोज बिमार पड़ता हूँ ।
एक बात समझ नही पाता हूँ मै,
मै सेहत का सदा ख्याल रखता हूँ ।
फिर भी हर पंद्रह दिन पर कैसे ?
मै बिमार हो जाता हूँ ।

सौरभ कुमार ठाकुर

बाल कवि & लेखक ग्राम- रतनपुरा, डाकघर-गिद्धा, थाना-सरैया, जिला-मुजफ्फरपुर, राज्य-बिहार, पिन कोड- 843106, देश-भारत मो0- 8800416537