कविता

प्याज रानी

प्याज रानी आई देखो

प्याज रानी आई
आते ही उसने अपनी
कीमत खूब बढ़ाई
चारो तरफ खुसर फुसर
फिर होने लगी और
पब्लिक बिना प्याज काटे ही
प्याज के आँसू रोने लगी
पहले कम खाते थे
अब ज्यादा खायेंगे प्याज के
दाम और बढ़ायेंगे
इसी प्याज ने एक बार
 सरकार गिराई थी अब फिर
प्याज के दम पर सरकार
गिरायेंगे सपने देखेंगे
और सपने दिखायेंगे
मंहगाई का फिर बहुत
खूब रोना धोना होगा
किसी पार्टी के नींद उडेगी
सोचते रहेगें कब सरकारी
पतंग हमारे हाथों कटेगी
ये सब देख प्याज रानी
धीरे धीरे से मुस्कुराई
किसी का कुछ हो जाये
फर्क मुझे अब पड़ता नहीं
मैंने तो अपनी कीमत बढ़ाकर
किसानो को कर्ज से मुक्ति दिलाई
इतना सोच प्याज रानी
दो चार सीढी कीमती महल की
और चढ़ गई फिर क्या
कीमत थोड़ी और बढ़ गई
— आरती त्रिपाठी

आरती त्रिपाठी

जिला सीधी मध्यप्रदेश