कविता

तेरे प्यार में पड़के ओ जानी

तेरे प्यार में पड़के ओ जानी
तेरे प्यार में पड़के ओ जाना
लुटा दिया दिल का खजाना
सबने समझाया मैं ना मानी
मैंने समझाया दिल ना माना
लुटा दिया दिल का खजाना
मैं थी मूरख मोहब्बत सयानी
प्यार भी निकला बड़ा सयाना
लुटा दिया दिल का खजाना
दुनिया के छल से मैं अनजानी
मन मेरा कपट से रहा अनजाना
लुटा दिया दिल का खजाना
सोला बरस की उमर  सुहानी
मौसम भी था बड़ा सुहाना
लुटा दिया दिल का खजाना
फिरती रही मैं बनके दीवानी
दिल भी रहा बस तेरा दीवाना
लुटा दिया दिल का खजाना
कैसी अजब थी मेरी नादानी
मैंं मानी जब दिल ना माना
लुटा दिया दिल का खजाना
— आरती त्रिपाठी

आरती त्रिपाठी

जिला सीधी मध्यप्रदेश