माँ के आँचल में हैं खुशियाँ
पकते चावल में हैं खुशियाँ
प्रेम लुटाती गृहलक्ष्मी की
रुनझुन पायल में हैं खुशियाँ
बहन रूप में आतीं खुशियाँ
भाई संग मिल गातीं खुशियाँ
गोद पिता की अनुपम जग में
वहाँ खूब किलकातीं खुशियाँ
अपने घर-आँगन में खुशियाँ
कुदरत के दामन में खुशियाँ
अगर ढूँढना चाहोगे तो
धरती के कण-कण में खुशियाँ

परिचय - कुमार गौरव अजीतेन्दु
शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन
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