मुक्तक/दोहा

प्रेम के दोहे

आज समस्या है बनी, धुंध हुआ विकराल।
वायु प्रदूषण बढ़ गया,गंद बनी है काल।।

काला धुआॅ छोड़ रहे,वाहन चारों ओर।
जाम समस्या है विकट,वाहन करते शोर।।

दोषी कहें किसान को, जो करता है खेत।
धूल कार्बन हर जगह,नाम पराली लेत।।

धुआं बन रहा काल है, फैल रहे हैं रोग।
क्रिया प्रतिक्रिया नियम है, करनी को अब भोग।।

प्रेम सिंह राजावत “प्रेम”

प्रेम सिंह "प्रेम"

आगरा उत्तर प्रदेश M- ९४१२३००१२९ Prem.rajawat1969@gmail.com