लघुकथा

बस यही है दोस्ती

बस यही है दोस्ती

” दीपा, सुन तो”।
” हाँ, बोल श्रुति, क्या हुआ”?
” कल मैंने तुमको सायरा के संग किसी बाबा की बात करते सुना था। तुम भी बाबा की तारीफ कर रही थी तो क्या तुम भी बाबाओं में विश्वास करती हो”?
” हाँ जिन बाबा की बात हम कर रही थी वो सिर्फ मानव हित का काम करते है ।
एक बार मेरे पापा को उन्होनें ही ठीक किया था और कुछ नहीं लिया ।
वो कहते है” मेरा फ़र्ज़ दुखियों की मदद करना है “।
यह सुन मैं उनकी इज्ज़त करती हूँ”।
” कुछ भी हो दीपा मुझे बाबा कोई भी पसन्द नहीं , तुम मेरी अच्छी दोस्त हो तो तुम भी पसन्द या विश्वास नहीं करो बाबाओं पर”।
“श्रुति मैं सभी बाबा की नहीं सिर्फ इन्ही की इज्ज़त करती हूँ, कारण तुमको बता दिया “।
” ठीक फिर हमारी दोस्ती यही खत्म होती हैं……
दीपा श्रुति को हैरानी से जाते हुए देख रही है ।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।