बाल कविता

प्यारी-प्यारी चिड़िया

नन्हीं सी
प्यारी-प्यारी चिड़िया
इतनी भारी सर्दी में बैठी
मेरी छत की मुंडेर पर
गुटुर-गुटुर…
चीं-चीं, चूं-चूं करती है |
दाना चुगती
पर पानी नहीं पीती है !
हाल-चाल पूंछू उसको
इससे पहले
फुर्र गगन में उड़ जाती है |
कोई परवाह नहीं उसको सर्दी की
क्या उसको जाड़ा नहीं सताता
बैठ घोंसले में आराम नहीं भाता !
जाड़ा-गरमी या हो बरसात
सदैव पंख पसार कर उड़ती रहती
दिखा-दिखाकर करतब नये-नये
हम बच्चों को आकर्षित करती रहती…
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111