लघुकथा

शर्त

चेतना अपनी माँ की इकलौती पुत्री थी । दो वर्ष की रही होगी तब पिताजी का साया सर से उठ गया था । वह विवाह योग्य हो गई थी । माँ भी बेटी के विवाह के लिए चिंतित रहती । इसी चिंता में माँ की सेहत बिगड़ने लगी थी । बेटी की सकुशल घर बस जाए माँ की यही इच्छा थी और शायद अंतिम लक्ष्य भी । माँ के गिरते सेहत से चेतना भी परेशान रहती । वह पढ़ाई भी कर रही थी कुछ सपने भी थे लेकिन माँ से बढ़कर कुछ नहीं था ।एक दिन चेतना माँ से बोली -” माँ मैं शादी के लिए तैयार हूँ । आपको जो लड़का पसंद है उसी से शादी करूँगी लेकिन एक शर्त मेरी भी होगी ।” माँ की इच्छा पूरी हो रही थी । माँ बोली -‘कैसी शर्त..?’ चेतना ने कहा -‘ लड़का क्या है …क्या करता है …उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन जो लड़का आपको मेरे साथ स्वीकार करेगा, जीवन के अंतिम पल तक ( माँ को ) साथ रखेगा उसी से शादी करूँगी ।’ बेटी के मुख से ऐसे शर्त सुनकर माँ की आँखों से आँसू बहने लगे । वह बेटी को गले से लगा कर रो पड़ी ।
— भानुप्रताप कुंजाम ‘अंशु’