कविता

हारेगा कोरोना

बियाबान शहर,
मौन है सड़कें,
कहाँ है आदमी
ठहर गयीं जिन्दगी,
कैसी है ये दस्तक,
कैसा है ये कोरोना,
चींटी निगले पहाड़,
जन-जन बदहाल,
हर तरफ शोर है,
कोरोना चीनी चोर है,
जिसने बदल दी दूनिया,
शहर के शहर वीरान,
जैविक हथियार से,
कोरोना की मार से,
लाशों के ढेर पर,
खड़ी है दूनिया,
लाइलाज अदृश्य मार है,
कहर साकार है
सब कुछ धरा रहा,
निगल गया साँसें,
सभ्यता के चरम पर,
कोरोना का राज,
बचे खुचे ढूँढते है,
जिन्दगी की आस,
मै जो निगल रहा हूँ,
कोरोना तो नहीं है,
इतनी शान्त दूनिया,
नहीं देखी कभी,
जी भी रहे है और
मौत का खौफ भी,
घर में भी ड़र है,
भूल गए है हम,
जादू की जप्पी,
प्यार भरी पप्पी,
नेह के शहर में है
दूरियों का बसेरा,
मौन के सफर का,
नया सफरनामा,
रहो एकान्त में,
साधना – ध्यान में,
हवा को न हो खबर,
तो कोरोना लुप्त,,
पर इस कहर ने,
क्या क्या दिन दिखाए,
मनुज ने ही,
मनुज के घर जलाए,
मानवता खाक हुई,.
बुढे, बच्चे, मासुम,
जगद्जननी सड़क पर,
भूखे पेट सड़कों पर,
घर में भी है आपदा,
सड़क पर भी आपदा,
विपदाओं का राज,
नये-नये आगाज,
पड़े है मरीज,
पहले किसे बचाये,
रब भी तय न कर पायें,
फिर भी एक बात है खास,
रूखसत न होने की है आस,
घर में रहो, जिन्दा रहो,
कोरोना तो नहीं छोड़ेगा,
जहाँ है वहीं रहोगे तो…
सरकार बचा ही लेगी
और सुविधा भी देगी,,
इन्तजार कुछ पल का हो.
तो व्रत रोजा मान लेना
हार मानेगा कोरोना ।।
— विनोद कुमार जैन

विनोद कुमार जैन

विनाेद कुमार जैन "वाग्वर" वार्ड नं ६ , पंचायत समिति क्वार्टर नं ५ , सागवाड़ा , जिला डूंगरपुर राजस्थान माे - 9649978981 ई मेल - vinodkumar1976vinod@gmail.com जन्मतिथि -१७.९.१९६८ जीवन साथी - माया जैन वाग्वर पुत्र रत्न - तरंग जैन तथागत ( आठ माह का ) माता - सावित्री जैन पिता - स्व० शान्तिलाल जैन योग्यता - एम ए , बी एड़ पद - ग्राम विकास अधिकारी , पंचायती राज , राजस्थान । संस्थापक - हम जैन संगठन सचिव - शिक्षा लक्ष्मी याेजना मानद् निदेशक एवं मुख्य सलाहकार - वाग्वर विद्या भारती समिति सागवाडा शिक्षा मंत्री - भारतीय जैन एकता व मिलन फाउण्डेशन सदस्य - Human Rights Foundation of India. ट्रस्टी - वात्सल्य पुण्य प्रन्यास , सीपुर मानद् सीनियर रिपाेर्टर - राष्ट्रीय अहिंसा क्रान्ति ! लेखन - उन्मुक्त भाषा शैली , यथार्थ परक गद्य साहित्य , प्रतीकात्मक काव्य का सृजन !! कार्य - कैरियर काउसलिंग , प्रतियाेगी परीक्षा आधारित विभिन्न विषयाें की काेचिंग के सफलतम सलाहकार विशेषज्ञ !! सम्मान - शब्द श्री , साहित्य सेवक., दोहा श्री ( विश्व वाणी हिन्दी संस्थान जबलपुर व संगम साहित्य संस्थान दिल्ली), शब्द मनीषी (शीर्षक साहित्य समिति ), प्रभा श्री ।। प्रकाशन - काव्य संकलन - समवेत स्वर , मुक्तक के झरने , दोहा दोहा नर्मदा , उम्मीदों की उडान , यादों का सफर., वसुधैव कुटुम्बकम ्।। पुष्प वार्ता , घटती घटना , प्रभाश्री ज्ञान सागर , स्वैच्छिक दुनिया , अंहिसा क्रान्ति , राजस्थान पत्रिका , दैनिक भास्कर , आत्मा की ज्वाला , प्रात:काल , अर्जेन्ट टाइम्स , जैन गजट , प्रतिबिम्ब पत्रिका , वागड दुत व अन्य कई पत्रिकाआें में रचनाएं प्रकाशित !!