कविता

धरती पर है गगन बनाया

कुछ तारे आसमां पर और कुछ धरा पर हैं उतर आये,
मानो अमावस की काली रात में धरती पर टिमटिमाये,

दियों का अद्भुत दृश्य कितना अलौकिक, दर्शनीय हुआ,
देख कर यह सुन्दर नज़ारा, संसार सारा विस्मित हुआ,

नतीजा अविस्मरणीय हुआ एक देशभक्त के संदेश का,
हर हाथ में जला दिया एकता और शक्ति के प्रतीक का,

हर चुनौती स्वीकार हमें अगर साथ हो सभी अपनों का,
एक साथ खड़ा हो संपूर्ण देश, डर नहीं है फ़िर विघ्नों का,

असमंजस में चांद था मैं कहीं गलत तो नहीं निकल आया,
तारे नीचे टिमटिमा रहे, बाकी दिख रहा काला घना साया,

पर फ़िर कुछ ही पलों में चांद को रहस्य समझ में आया,
भारत मां की संतानों ने तो, धरती पर ही है गगन बनाया।

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)

रत्ना पांडे

रत्ना पांडे बड़ौदा गुजरात की रहने वाली हैं । इनकी रचनाओं में समाज का हर रूप देखने को मिलता है। समाज में हो रही घटनाओं का यह जीता जागता चित्रण करती हैं। "दर्पण -एक उड़ान कविता की" इनका पहला स्वरचित एकल काव्य संग्रह है। इसके अतिरिक्त बहुत से सांझा काव्य संग्रह जैसे "नवांकुर", "ख़्वाब के शज़र" , "नारी एक सोच" तथा "मंजुल" में भी इनका नाम जुड़ा है। देश के विभिन्न कोनों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र और पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। ईमेल आई डी: ratna.o.pandey@gmail.com फोन नंबर : 9227560264