कविता

ये महामारी है !!!

कुछ घोषणाओं, कुछ वादों को,
सरकारी नल से
पी लिया था जी भर …
आज सुबह ही ओक से
किया था जब दातून ..
समझाया था मुनिया को,
किसी से भी, कहीं भी
कुछ मत ले लेना
ये महामारी है !
छूने से हो जाती है,
राजा और रंक में
कोई भेद नहीं करती !!

जब बंद हो जाता है आवागमन
तब कितना कुछ
मन के पास आ जाता है
बिना किसी पूर्व नियोजन के
बंद हैं बाज़ार सारे,
पैदल भी निकलने की
मनाही है
तभी निकल पड़ी भूख
बदहवास सी
कुछ भी, कहीं से भी, मिले
बस उसे तृप्त करना है,
उस क्षुधा को,
जिसने खो दिया है धैर्य,
पर … दिखाना है उसे
भय मृत्यु का, सुरक्षित रहोगे
तभी खा पाओगे,
वर्ना एक श्वास भी
अपने मन से न ले पाओगे !!!
©

सीमा सिंघल 'सदा'

जन्म स्थान :* रीवा (मध्यप्रदेश) *शिक्षा :* एम.ए. (राजनीति शास्त्र) *लेखन : *आकाशवाणी रीवा से प्रसारण तो कभी पत्र-पत्रिकाओ में प्रकाशित होते हुए मेरी कवितायेँ आप तक पहुँचती रहीं..सन 2009 से ब्लॉग जगत में ‘सदा’ के नाम से सक्रिय । *काव्य संग्रह : अर्पिता साझा काव्य संकलन, अनुगूंज, शब्दों के अरण्य में, हमारा शहर, बालार्क . *मेरी कलम : सन्नाटा बोलता है जब शब्द जन्म लेते हैं कुछ शब्द उतरते हैं उंगलियों का सहारा लेकर कागज़ की कश्ती में नन्हें कदमों से 'सदा' के लिए ... ब्लॉग : http://sadalikhna.blogspot.in/ ई-मेल : sssinghals@gmail.com