शीशे सा दिल मेरा तोड़ दिया,अब तो खुश हो ना।
अश्कों से मेरा रिश्ता जोड़ दिया, अब तो खुश हो ना।
अब न तकरार होगी, न कोई शिकायत करेगा,
मैंने दर्द का कफन ओढ लिया, अब तो खुश हो ना।
गर राहों में टकराये, मिलेंगे अजनबी की तरह,
दिल ने ये अहम फैसला लिया, अब तो खुश हो ना।
तर्के मौहब्बत, तर्के वफा, तर्के तआल्लुक भी,
सब गुनाह अपने सर लिया, अब तो खुश हो ना।
आप खेलो बहारों में,के महफूज रहो तूफानों से,
मेरे नशेमन पे गिरी बिजलियां, अब तो खुश हो ना।
— ओमप्रकाश बिन्जवे “राजसागर”