आत्मकथा

सारिका भाटिया की कहानी – 5

(18) छोटे भाई का हौसला और पापा की हिम्मत

जब 2004 सगाई टुटने से बहुत उदास थी। अभी सिर्फ एम.ए. किया था। खाली बैठी हुई थी। एक पापा मेरे पास आये और बोले तू इस दुनिया को जरूर हरा देगी। मुझे उनकी बात समझ नहीं आई। उन्होंने मुझे कहा तुम यूपीएससी की परीक्षा दो। मुझे ये नहीं पता था कि यूपीएससी क्या है। उन्होंने समझाया, थोड़ा बहुत समझ में आया। उनका बड़ा मन था कि यूपीएससी पास करूं। उन्होंने कोचिंग भी करायी थी। और जैसे पापा ने कहा वैसे किया। अनेक तरह की प्रतियोगिताओं में ध्यान रहा। पास तो नहीं हूई, लेकिन मेरे अन्दर ज्ञान भर चुका था। दुनिया की जानकारी समझ रही थी। प्रतियोगिता पुस्तक लाने के लिए मेरे पापा ने मदद की।

मेरे दो भाई हैं। मैं घर में सबसे छोटी हूं। कोई बहन नहीं है। मुझे दोनों भाई में छोटे भाई से ज्यादा बात करती हूं। और आज भी उनसे खुलकर बात करती हूं। कोई भी परेशानी होती है तो उनके साथ ही खुलकर बात करती हूं। मेरा ध्यान बहुत रखते हैं बचपन से और अभी तक। जब सगाई टूटने से उदासी के कारण मैं निराश थी, तो मेरे अंदर आत्मविश्वास जगाया। मुझे कार चलाना सिखाया। उस वक्त एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस में भी काम किया था। यह काम मैंने 2004 से 2007 तक किया था। उनसे सवाल भी पूछती थी कि ये दुनिया ऐसी क्यों है। वो मुझे समझाते रहते थे। मेरे अंदर आत्मविश्वास बन चुका था। साथ में प्रतियोगिता के लिए पढ़ाई भी करती थी।

(19) पुस्तकालय विज्ञान कोर्स

एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस ऑनलाइन अर्निंग का काम घर में होता था। ऑफिस कम जाती थी। छोटे भाई और मैं मिलकर काम करते थे। रोज नहीं जाना होता था। पापा ने मेरे लिए वोकेशनल कोर्स भी कराया, ताकि आगे रोजगार करुं और अपने जीवन में आत्मनिर्भर बन सकूं। 2005 में बैचलर ऑफ लाइब्रेरी एंड इन्फाॅर्मेशन साइंस (Bachelor of Library and Information Science : BLIS) कोर्स किया। वैसे भी मुझे पुस्तक पढ़ने का शौक बहुत रहा है। इसलिए मुझे यह कोर्स पसंद था। मेरी आदत है जहां भी कोई भी पुस्तक दिखती है, उसे पढ़ने लग जाती हूं। स्कूल के समय सुबह प्रार्थना के समान काम किया था। मेरे भाई कालेज में आ चुके थे। उनकी कक्षा 11-12 की पुस्तकें पड़ी थीं। मेरी लाइब्रेरियन टीचर, जिनको आज भी जानती हूं, मैंने उनको बोला कि इन्हें आप लाइब्रेरी में रख लें। गरीब बच्चों के काम आयेंगी। जब मैं क्लास 11 की थी, तब की बात है। तब सबने प्रार्थना होने के बाद मेरे इस अच्छे काम के लिए ताली बजायी थीं। मुझे बहुत अजीब लगा। ये मैंने कौन सा बड़ा काम किया था। आज समझ आया मुझे।

(20) छात्रवृत्ति का मिलना और कम्प्यूटर कोर्स

मैंने जो बैचलर ऑफ लाइब्रेरी एंड इन्फाॅर्मेशन साइंस कोर्स किया था उसमें मुझे पहली बार प्रथम श्रेणी आयी थी। ये मेरे लिए खुशी की बात थी। स्कूल के समय तीसरी या दूसरी श्रेणी रहा करती थी। कालेज में दूसरी श्रेणी रही। BLIS में प्रथम श्रेणी आने से मुझे इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनीवर्सिटी से छात्रवृत्ति मिली। यह मेरे लिए आत्मविश्वास बन चुका था। उस वक्त मैं सगाई टूटने को भूल गयी थी। इसके बाद मैंने 2006 में कम्प्यूटिंग का कोर्स किया। इसमें भी प्रथम श्रेणी रही।

(21) 2007 में शादी

मेरा कम्प्यूटर कोर्स खत्म होने के बाद मेरे परिवार में सब पीछे पड़े थे- कब तक पढ़ती रहेगी? बड़ी मुश्किल से मेनै सगाई को भुलाया था। मेरा मन नहीं था शादी करने का। उस वक्त एचडीएफसी का अपना बाॅस मुझे पसंद था। घर में किसी को नहीं बताया, बस अपने भाई को बताया था। तो भाई ने पापा को बताया उन्होंने बाॅस से बात की थी। वह मना कर रहा था क्योंकि उसको अपने करियर का ध्यान पहले था। उसने कहा पहले मैं करियर पर ध्यान दूँगा, फिर शादी का सोचूंगा। उसने मना किया, लेकिन जब उसे पता चला कि मेरी शादी की पक्की हो चुकी थी, तो उसे दुःख हुआ और वह सुस्त था। यह तब पता चला जब मेरा भाई कार्ड देने गये थे उसके घर में।

उधर से मेरे एम.ए. का साथी एक लड़का दीपक मुझे बहुत चाहता था लेकिन मुझसे कह नहीं पाता था। मेरे भाई को बोलना चाहता था, पर कह नहीं पा रहा था। जब मेरी शादी पक्की हुई तो एक दिन पहले उसका फोन आया मेरे पास तो उसने कहा तुम खुश हो ना। मैंने कहा हां, पर वह बहुत उदास था। मुझे बाद में मेरी सहेली पूनम ने मुझे बताया कि मेरी शादी होने के बाद दीपक तुम्हें चाहता था। लेकिन बता नहीं पाता था। उसे डर था कि मेरे मम्मी-पापा गुस्सा होंगे। बाद में उसने मेरी सहेली पूनम से शादी कर ली थी। आज पता नहीं वह कहां है। माना जाता था कि दिल्ली के लक्ष्मीनगर में रहते थे। आज मैंने फेसबुक पर ढूंढा, पर नहीं मिला।

उस वक्त shaadi.com नया शुरू हुआ था। मेरे भैया ने भर दिया था। मैं खुद मूर्ख थी। इस बात पर कि ये धोखा होते हैं, पैसा लूटते हैं। मेरी एक साउथ इंडियन लड़के से शादी हुई थी। जो परिचय (बायोडाटा) उसने लिखा था, वह गलत था। शायद ईश्वर मुझे ठोकरें देना चाहता था, दुनिया दिखाना चाहता था। वैसे मेरे मम्मी-पापा ने भी जांच पड़ताल किया था शादी कराने से पहले। लेकिन पता नहीं उनसे कहां गलती हूई।

लेकिन मैं इतना कहुंगी कि जब मेरी शादी हो गई थी, तो शुरू में सब ठीक था। लेकिन कुछ महीनों के बाद मैंने उनकी झूठ की सच्चाई देखी। वो लोग मेरे व्यवहार को देख रहे थे। मेरी यह शादी 2007 से 2010 तक रही। 2011 में तलाक हो गया था मेरा। मैं बहुत आदर्श और संस्कारी रही हूं। मैंने उसके परिवार की इज्जत की, लेकिन ससुराल को मेरा व्यवहार अच्छा नहीं लगा। उन्होंने मेरे साथ एक झूठ किया। वे लोग घर में कुत्ता पालते थे। शादी से पहले यह नहीं बताया था। लेकिन मैंने उनकी इज्जत का मान रखते हुए उनके कुत्ते के बच्चों को पालने का काम किया।

मैं चुप थी। एक दिन मेरे पति और सास मेरे मम्मी के घर गये। मेरी मम्मी-पापा के सामने मेरी कमियां निकाल दीं। कहा कि आपकी बेटी बहुत धीरे धीरे काम करती है। हमें ये लड़की पसंद नहीं है। उन लोगों ने एक तरह से मेरा गलत उपयोग किया, मेरी भोली सुंदरता का फायदा उठाया। मैं इतना समझ चुकी थी कि वो चालाक हैं। पर मैं चालाक नहीं थी, मैं मानसिक तनाव का शिकार हो गई थी। मेरी सास चालाक और बहुत सख्त थी। उनकी चलती थी घर में। वो मेरी गलतियाँ बहुत निकालती थी।

उनके डर के कारण मैं बहुत मानसिक तनाव में थी। पति मेरा साथ बिल्कुल नहीं देता था। लग रहा था कि उसका किसी लड़की के साथ संपर्क था। जब ये मुझे पता चला, तो मैं बहुत रोयी। पति के साथ लड़ाई भी की थी, पर वह सच छुपाता रहा। एक दिन उसका फोन मेरे फोन से बदल गया। उसके संपर्क फोन में आया। तो उसमें एक लड़की का फोन आया। मैंने उसका कहा- आप कौन? उसने फोन काट दिया। मेरे पति का व्यवहार बदल रहा था। उसके व्यवहार बदलने से मैं बहुत तनाव में थी। अपनी बुआ की लड़की की शादी में भी नहीं गया मेरे साथ। उसके बाद मेरी तबियत खराब हो रही थी। मैंने अपनी मां को बोला- मुझे नहीं रहना यहाँ, मुझे ले जाओ। मुझे सहन नहीं हो रहा है। उन्होंने इतना परेशान कर दिया था। वो चाहते थे कि मैं मर जाऊं। लेकिन ईश्वर मेरे साथ था। जब उनकी मुझे मारने की योजना होती थी, तो मैं बच जाती थी।

एक दिन मेरी तबियत ज्यादा खराब होने के कारण मेरी मां और भाई लेने के लिए आये। उस दिन मेरी तबियत बहुत खराब थी। ससुराल का योजना थी कि किसी तरह घर से निकल जाऊं। वो दिन मेरा वहाँ आखिरी दिन था। उसके बाद मेरी तबियत ठीक हो गयी थी अपने घर में। उन्होंने कहा था ठीक होने के बाद पति लेने आयेगा। मैं इंतजार करती रही, फोन भी किया। पर वे लोग फोन नहीं उठा रहे थे। इस तरह एक साल निकल गया। मेरे मामाजी ने उनसे बात की। मेरी सास ने कहा- हम तलाक चाहते हैं। हम इस लड़की को नहीं रखना चाहते। जब मेरे पापा-मम्मी को पता चला तो बहुत रोये। मुझसे भी कब तक छुपाते। लेकिन मुझे गुस्सा भी आ रहा था। कुछ नहीं कर सकते थे। शायद मेरे भाग्य में यही होना लिखा था। बस यही कहूंगी कि उन लोगों ने मेरा गलत फायदा उठाया। उन्होंने बहुत गलत किया।

ये मेरे लिए काफी दर्दनाक और डरावना पल रहा, क्योंकि सुसराल ने बहुत परेशान किया था। यहां तक कि मेरी विकलांगता पर बहुत कुछ परेशान किया, बहुत बोला। उन लोगों ने मेरा एक फायदा ये उठाया कि मेरे पापा से रोज किसी न किसी रूप में पैसा मांगते थे। जैसे कि शादी.काॅम वेबसाइट में झूठ लिखा गया था कि बहुत कमाता है। पर शादी के बाद पता चला कि एक छोटा प्राॅपर्टी का काम है। अधिक कमाता नहीं है। मेरे पति ने मेरा बैंक कार्ड भी ले लिया था। मैं मांगती थी, पर नहीं दिया। जब मैं अपने घर आ गई थी, तो कार्ड उसके पास था। तब मेरे भैया ने तुरन्त कार्ड बंद कर दिया था, क्योंकि उसमें पैसे कम हो रहे थे। मेरा पति कुछ पैसे निकाल चुका था।

सारिका भाटिया

जन्म तिथि-08/11/1980 जन्म स्थान- दिल्ली पिता का नाम- late भोज राज भाटिय़ा मां का नाम- नीलम भाटिया भाई- दो भाई शैक्षणिक योग्यता- (1) बीए (ऑनर्स) राजनीति विज्ञान दिल्ली यूनिवर्सिटी मैत्रेयी कॉलेज 2002 (2) एम ए (राजनीति विज्ञान) दिल्ली यूनिवर्सिटी दौलत राम कॉलेज 2004 (3) Bachelor of Library and Information Science (BLIS) IGNOU 2005 (4) Cerficate in Computing IGNOU 2006 (5) Primary teachers Training course 2013 Delhi अनुभव- (1) Teacher ( Udayan Care (NGO) 2004, 3 साल काम किया। (2) Insurance agent Hdfc 2005 -2007 (3) Daycare day boarding teacher Eurokids playschool Delhi Mayur vihar delhi 2010- 2013 वर्तमान में- 1) उपप्रधान (बाह्य), विकलांग बल 2) अध्यापिका, (गरीब बच्चों को पढाना), निर्भेद फाउंडेशन गाजियाबाद ईमेल - sarika1980@gmail.com रुचियाँ - (1) पढ़ना, (2) बच्चों को पढ़ाना, (3) गाना, आध्यात्मिक संगीत सुनना, (4) समाज सेवा (5) ड्राइंग पेंटिंग, anchor stitch kits,art and craft , (6) सकारात्मक विचार (positive thought) पढ़ना।