लघुकथा

परिवर्तन

मैं जया। तुम सभी को आश्चर्य हो रहा है कि 15 मार्च को सभी मुझे जन्मदिन
की बधाई देते रहे हैं फिर अब 27 मई को इस जन्मदिन की पार्टी का क्या मतलब
है? स्पष्ट कर रही हूँ। शराबी एवं चरित्र हीन पति के अत्याचार ताने आरोप
मानसिक तनाव की पराकाष्ठा मेरे पवित्र चरित्र पर गलत आरोप लगा कर होने पर
मुझे अपने अधिकार के लिए कोर्ट में लम्बी लड़ाई के लिए विवश होना पड़ा।
घुटन तनाव के कारण प्रतिदिन तन मन से टूट रही थी एवं मरने के समान थी।
सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। न्यायालय से मुझे अब जीने का अधिकार
प्राप्त हुआ है। तलाक का प्रमाण पत्र मुझे खुली हवा में जीने के लिए
अनमोल उपहार है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। 15 मार्च वाली जया मर चुकी
है। 27 मई को आज एक नई जया का पुनर्जन्म हुआ है। तन मन धन से कर्तव्य
निभाने पर भी स्नेह प्यार की अपेक्षा अपशब्द एवं शारीरिक यातना सहन कर
किस प्रकार जीवन जारी रखा जा सकता था। अब यही मुक्ति पर्व ही मेरा असली
परिवर्तित जन्मदिन रहा करेगा। भीगी पलकों से अतिथि जया के साहस पूर्ण
निर्णय की प्रशंसा कर शुभकामना एवं बधाई दे रहे थे एवं जया तो बस फूट फूट
कर रो रही थी। जया रो रही थी बस रो रही थी।

—  दिलीप भाटिया

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी