राजनीति

विकास और बिहार – कुछ सवाल

एमडीआई स्कोर के आधार पर, बिहार भारत के शीर्ष 3 सबसे कम विकसित राज्यों की सूची में है। आपको क्या लगता है इसके पीछे क्या कारण हैं? अत्यधिक उपजाऊ और उत्पादक भूमि, अच्छे जल संसाधन और कड़ी मेहनत करने वाले लोगों से सम्पन होने के बावजूद, बिहार अभी भी विकास की कमी से ग्रस्त है, जो नौकरी और बेहतर अवसरों की तलाश में बिहार से दूसरे राज्यों में पलायन करने वाले लोगों की संख्या से काफी स्पष्ट है।
हम जानते है किसी भी देश या राज्य की प्रगति के लिए सबसे जरूरी होता है व्यापार का बढ़ना, निर्यात का बढ़ना और बिहार की प्रगति के लिए भी ये लागू होता हैं। आज हमारे राज्य बिहार में व्यापार करने वालों की काफी कमी हैं खास कर के निर्यात करने वालो की। कोई भी बड़ी कंपनी न तो बिहार में निवेश करना चाहती है और न ही युवा व्यापार करने में रुचि दिखाते हैं।
राज्य में ज्यादातर लोग या तो सरकारी नौकरी की तैयारी करते है या तो दूसरे राज्यों में नौकरी की तलाश में निकल जाते हैं और न के बराबर लोग बच जाते है जो वयापार के बारे में सोचते हैं। जिसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है कि देश के परिचालन में औद्योगिक इकाइयों की कुल संख्या में से, बिहार का हिस्सा 2015-16 में केवल 1.5% था और आज जब कोरोना महामारी के कारण लोग राज्य में वापस आ रहे हैं तो बेरोज़गारी का खतरा बिहार सरकार के ऊपर मंडराने लगा हैं और लोग भी अपने भविष्य को लेके दुविधा में हैं।
आज जब पूरा विश्व इस महामारी से जूझ रहा हैं वहाँ हम बिहारी इस मौके का फायदा उठा के बिहार को आने वाले समय मे आत्मनिर्भर बना सकते हैं।  आइये चर्चा करते हैं ये कैसे संभव होगा।
पहला, व्यापार के प्रति लोगो को जागरूक करना। आज एकतरफ जब भारत में छात्र एंटरप्रेन्योरशिप के प्रति आकर्षित हो रहे है तो वही दूसरी तरफ बिहार में छात्र आज भी सरकारी संस्था में नौकरी पाने को ही अपना लक्ष्य मान रहे है जो कि हैरानी से ज्यादा चिंता का विषय हैं। बिहार सरकार को बिहार के युवाओ को एंटरप्रेन्योरशिप के प्रति जागरूक करने की जरूरत हैं।
इसका सबसे अच्छा उपाय है स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रमो में “एंटरप्रेन्योरशिप” विषय को शामिल करना, इससे युवाओ को इसकी अहमियत का अंदाज़ा होगा और आने वाले समय मे लोग बढ़ चढ़ के व्यापार में रुचि दिखाएंगे। उससे राज्य में बिभिन्न वस्तुओं का निर्माण कार्य बढ़ेगा और दूसरे राज्य और देशो में हमारा निर्यात भी बढ़ेगा। जिसके परिणामस्वरूप राज्य में धन आएगा और सरकारी राजस्व भी बढ़ेगा जिसका इस्तेमाल राज्य सरकार राज्य के विकास में कर सकेगी। लोगो का दूसरे राज्यों में पलायन भी कम हो जाएगा और बिहार आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा।
दूसरा, आज जब विश्व की ज्यादातर कंपनिया चीन से अपने निवेश को समाप्त कर के भारत और वियतनाम जैसे विकाशील देशों का रुख कर रही है, इस परिस्थिति का बिहार सरकार को फायदा उठाना चाहिए और भारत मे निवेश करने की इक्छुक कंपनियों को बिहार लाने का प्रयास करना चाहिए ठीक उसी प्रकार जैसे उत्तर प्रदेश सरकार कर रही है जो काबिलेतारीफ हैं। अगर ऐसा होता हैं तो बिहार में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और लोगों को दूसरे राज्यों में पलायन नही करना पड़ेगा।
तीसरा, हम सब जानते हैं बिहार के लोग काफी मेहनती होते हैं और पूरे भारत में श्रमिकों की कमी को पूरा करने में बिहार का काफी योगदान रहता हैं।व्यापार को बढ़ावा देके हम अपने श्रमिक भाइयों को न केवल अपने राज्य में रोजगार दे सकते है बल्कि उन्हें जिंदगी भर अपनो के साथ रहने का तोहफा भी दे सकते हैं। आजतक हमारे श्रमिक भाइयों ने अपने खून पसीनों से महानगरों को सींचा हैं उन्हें समृद्ध बनाया हैं, अब बारी अपने मातृभूमि की हैं।

— सोनल सिन्हा

सोनल सिन्हा

फाउंडर - MyBhkFlat Mumbai