लघुकथा

मेरे जीवनसाथी – तुम हो तो में हूँ!!

तुम्हें प्रिय नहीं लिखूँगी क्युंकी तुम तो सबसे प्रिय हो मुझे!!!
जीवनसाथी आनंद(आनी),
हैपी बर्थडे,तुम जीयो हज़ारों साल,साल के दिन हो पचास हज़ार,तुम्हें मेरी भी उमर लग जाए!!हमारे विवाह को 10 साल हो चुकें हें और हमें मिले हुए 15 साल…वक्त तेज़ी से निकलता चला गया पर हमारा प्यार बदता चला गया!तुम बोहोत सहनशील, मुझे समझने वाले इंसान को अपना जीवनसाथी पा कर में धन्य हूँ!!तुमने मुझे ऊँचाईको छूने में मेरा साथ दिया हमेशा!!आज भी वो रात याद है मुझे जब में माँ बनने वाली थी और मेरी पी० अच० डी० की थीसस जमा करने में चार दिन बाक़ी थे!रात को मुझे नींद आने लगी,तुम और में मेरी शोध की फ़ाइनल प्रूफ़ रीडिंग कर रहे थे,मुझे नींद लग गई,सुबह सात बजे जब आँख खुली तब भी तुम मेरी शोध की प्रूफ़ रीडिंग ही कर रहे थे!!तुम्हारा साथ मुझे मेरी हर हर ख़ुशियों और हर ग़म में मिला!कहने को लव मैरिज है अपनी पर प्यार से ज़्यादा तुमने सम्मान दिया मुझे!!तुम मेरी ख़ुशी की वजह हो,तुम मेरी ताक़त हो,तुम मेरा विश्वास हो!किसी कारण से  मेरी प्रगनैसी में जब हमसे अपने रूठे हुए थे तब भी तुमने मेरा साथ नही छोड़ा!!अपनी माँ को में जब 17 साल की ही थी तभी खो चुकी थी,पर इस वक्त तुमने मेरी माँ की तरह मेरी देखभाल की अपना सब कुछ भूल कर!जनम जनम का रिश्ता है तुमसे ‘आनी’!!मेरी माँग में तुम्हारा सिंदूर हमेशा बना रहे बस एक यही दुआ हे ईश्वर से!तुम खूब तरक़्क़ी अपनी ज़िंदगी में!मेरी और हमारी एकलोती बिटिया ‘ लिली’ की तरफ़ से तुम्हें ढेर सारी जनमदिन की शुभकमायें!!
हमेशा से तुम्हारी मिली (मानी)!
धन्यवाद
— डॉक्टर मिली भाटिया आर्टिस्ट

डॉ. मिली भाटिया आर्टिस्ट

रावतभाटा, राजस्थान मो. 9414940513