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नशा : मानवता के महाविनाश की ओर बढ़ते कदम

नशा :  मानवता के महाविनाश की ओर बढ़ते कदम
 सामान्यतः व्यक्ति और समाज को अंधकार में झोंकने वाली बुराई नशा है, जिससे समाज का अधिकतम व्यक्ति अछूता नहीं रहा है। वर्तमान समय में तो महिलाएं भी नशीले पदार्थों का प्रयोग किसी ना किसी रूप में शौकिया तौर पर या तुलनात्मक रूप से करने लगी है। जो कि बिल्कुल उचित नहीं है। नशे के तौर पर व्यक्ति कई प्रकार के पेय, गांजा, सिगरेट बीड़ी, तंबाकू, मॉरफिन,कोडेन एंड नॉरकॉटिकस, पाउडर, टेबलेट और इंजेक्शन आदि का प्रयोग करता है।
     नशा वह रसायन है,जो व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति को बदल देता है। वह पदार्थ जो व्यक्ति को ऐसी स्थिति में ला दे, उसे नारकोटिक्स या ड्रग्स कहा जाता है। नशा का अर्थ मादक पदार्थ तक ही सीमित नहीं रहता, जिस चीज की लत व्यक्ति को जरूरत से अधिक लग जाए, उसे नशा कहा जाता है।
ईश्वर ने हमें जो यह बहुमूल्य जीवन दिया है। बहुत कुछ देखने और करने के लिए। आज की युवा पीढ़ी और बहुत से बुद्धिजीवी भी इस नशे में पूरी तरह से बर्बाद कर रहे हैं ।
   वैज्ञानिक तौर पर नशीले पदार्थ दिमाग के न्यूरो ट्रांसमीटर को प्रभावित करते हैं । यह न्यूरोट्रांसमीटर एक प्रकार का रसायन, जो सूचनाओं को शरीर के दूसरे हिस्सों तक पहुंचाता है। कई प्रकार के नशीले पदार्थों की वजह से न्यूरोट्रांसमीटर उत्तेजित, अव्यवस्थित अस्पष्ट और व्याकुल हो जाते हैं जिससे व्यक्त कुछ भी बोलने लगता है और दिमाग धीरे-धीरे काम करने लगता है। नशा करने से व्यक्ति के दिमाग की कोशिकाएं डोपामाइन हार्मोन नामक रसायन का स्राव करती है, जो नशे की इच्छा को प्रबल बनाती है और धीरे-धीरे नशा तलब में बदल जाता है।
      सामान्य शब्दों में कहा जाए तो नशे का अर्थ व्यक्ति किसी पदार्थ का आदि हो जाए और उसका प्रभाव उसकी आधारीय जीवन और समाज पर पड़े, वह नशा है। एक सामान्य जीवन जीने के लिए हमें हर वस्तु का प्रयोग सीमित करना चाहिए किंतु असीमित इच्छा विनाश का कारण बनती है।
     अगर बात की जाए कि नशा किस प्रकार समाज और मानवता का विनाश कर रहा है तो यह बात प्राचीन काल से ही साबित होती आ रही है,कि कोई भी नशा अच्छे से अच्छे राजा का विनाश का कारण  बना है शुरू में तो नशा या नशीले पदार्थों का प्रयोग शौक या दिखावे के तौर पर करते हैं किंतु धीरे-धीरे यह शौक आदत में, आदत लत में बदल जाती है और नशे की लत को पूरा करने के लिए व्यक्ति किसी भी हद तक चला जाता है वह ना तो परिवार की सोचता है और ना ही समाज की क्योंकि नशे की लत उसकी हर तरह की क्षमता को खत्म कर देती है। व्यक्ति नशे के चलते अपने कर्तव्य,धर्म यहां तक कि खुद को भूल जाता है और नशे की आड़ में भागकर अपनी जिम्मेदारियों और समाज का सामना करने से छूप जाता है। नशे के चलते कोई भी व्यक्ति समाज में अपना स्थान नहीं बना पाता और नशे का सहारा लेकर अकेला हो जाता है नशे के आदि व्यक्ति को समाज भी अपना नहीं पाता।समाज के अनुसार जो व्यक्ति अपने और अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सक्षम नहीं है वह किसी के प्रति सक्षम नहीं हो सकता और एक समय ऐसा आता है कि उसके हाथ में केवल नशा रह जाता है।
     नशा कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है जिसमें कैंसर नामक भयंकर बीमारी से हम सभी परिचित हैं। जो नशे का कारण होती है और आज भी इसका उतना उचित इलाज नहीं है जितना होना चाहिए। इसके अलावा व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा, फेफड़ों से संबंधित बीमारी,शारीरिक रूप से कमजोर, बिना नशे के सामान्य रहने वाला आदि हो जाता है और जो महिलाएं नशीले पदार्थों का प्रयोग करती हैं, उनमें भी कैंसर के अतिरिक्त कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है जैसे गर्भधारण करने में काफी समय आती है और गर्भधारण के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है, जिससे वह न चाहते हुए भी नशे का शिकार बन जाता है और उसका शारीरिक विकास रुक जाता है।
  दुनिया में हर वस्तु मनुष्य के लिए बनी है, ना कि मनुष्य वस्तु के लिए। कोई भी वस्तु बुरी नहीं होती अगर उससे सही तरीके से प्रयोग किया जाए।  लेकिन जरूरत से ज्यादा किसी भी वस्तु का प्रयोग नशा है। कई प्रकार के ड्रग्स या नशीले पदार्थों का प्रयोग कई क्षेत्रों में हमारी भलाई और जरूरत के लिए होता है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र चिकित्सा क्षेत्र है। चिकित्सा क्षेत्र के अंतर्गत कई प्रकार के ड्रग्स का प्रयोग मनुष्य जाति के लिए दवाइयां बनाने में किया जाता है नशीले पर्दाथों के अधिकतम प्रयोग से व्यक्ति खुद के साथ-साथ परिवार और समाज के विनाश के लिए भी जिम्मेदार होता है। नशे के कारण मानवता का भी विनाश हो रहा है क्योंकि इस नशे के कारण अपराध जगत को बढ़ावा मिला है इसलिए हमें अपने जीवन की महत्ता को समझ कर इसे योगदान पूर्ण बनाना चाहिए।
       अंततः नशा व्यक्ति का ही नहीं बल्कि पूरे समाज और मानवता का नाश है जिससे प्रत्येक व्यक्ति को बच कर रहना चाहिए और अपनी जिम्मेदारियों को समझकर उनका निर्वाह करना चाहिए। सामाजिक दृष्टि से नशे के व्यापार को जो छूट है, नशे के बढ़ते हुए दुष्प्रभाव को जो अनदेखा किया जा रहा है, वह विनाश का बहुत बड़ा कारण है। यदि व्यक्ति को नशा मिलेगा ही नहीं तो वह नशा करेगा ही नहीं। इसलिए समाज के हर जिम्मेदार नागरिक को इस बात पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि किसी भी चीज की आदत शौक से पड़ती है और फिर वह नशे में तब्दील हो जाती है और नशा कमजोरी बन जाता है यदि व्यक्ति के गलत शौक को ही रोक दिया जाए तो वहां आगे चलकर नशे की लत में नहीं पड़ेगा और उससे जुड़े हुए लोगों का जीवन तथा समाज भी प्रभावित नहीं होगा । अगर इसे नहीं रोका गया तो  इसके कदम मानवता के महा विनाश की ओर बढ़ेंगे।
                             लक्ष्मी सैनी

लक्ष्मी सैनी

असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, माइक्रोबायलॉजी अम्बाह पी.जी. कॉलेज अम्बाह, अम्बाह, मुरैना (मध्यप्रदेश) मोबाइल-+916261457948 ईमेल-sainilakshmi615@gmail.com