सामाजिक

एक पल चाहिए!

जिंदगी है जनाब कोई सर्कस नहीं जो कुछ घंटे दिखाये, लोगों की वाह-वहाई लिये और चंद तालियों की गड़गड़ाहटो के बाद सबकुछ समेट लिए और नयी जगह चल दिये।
     यहाँ जीने के लिए और मरने के लिए कुछ चाहिए तो “बस एक पल चाहिए! “•••••••
जी हाँ! “बस एक पल”•••• सुनने मे बहुत छोटा सा शब्द है पर बहुत ही गहराई छुपी होती हैं इसमें।
      जहाँ सारी कोशिशें हार जाती है, जब मन में निराशा गर बना लेती है तब उस सोये हुए आत्मबल को जागृत करने के लिए
 “बस एक पल चाहिए”•••••••
     जहाँ अक्सर इंसान अपनी ज़िंदगी से हार जाता है और ऐसे में वह कोई गलत रास्ता अपनाने निकल पड़ता है,तो उसके अंदर हमदर्द बन उस मोड़ पर उसकी ज़िंदगी को फिर से वापस ला सकते हैं उसके लिए हमें
“बस एक पल चाहिए”•••••••
     नाराज रूठे बैठा किसी हमराही की दर्द को बाँट सकते है बशर्तें
 “बस एक पल चाहिए”•••••••
     सहमी आँखों में प्यार की झलक बिखेर सकते हैं,खामोश हुई नन्हीं होठों पर फिर से मुस्कुराहट की झड़ियाँ खिला सकते हैं
 “बस एक पल चाहिए”•••••••
        हर रोज कंप्यूटर,मोबाइल में आधी ज़िंदगी बिताने के बावजूद भी बूढ़े माता- पिता के चेहरों पर बचपन वाली खिलखिलहट ला सकते हैं
 “बस एक पल चाहिए”•••••••
          ज़िंदगी सर्कस जैसी तो नहीं बनानी पर एक सिख तो जरूर ले सकते हैं,भले ही अंदर गमो का पहाड़ हो पर जहाँ भी जाओ सभी को हँसाने की काबिलीयत जरूर बनाए रखनी चाहिए और ये सब के लिए लोगो के पास
 “बस एक पल चाहिए”•••••••
           कड़वाहट भूलकर मिठास वाली रिश्तों को अपनाओ,नफ़रत को मिटाकर प्यार की भाषा को जगाओ,बुरा कोई कहता तो सुन लो भले पर उलट कर मुख से अमृत बरसाओ,तुम सबकुछ कर सकते हो सबकुछ तो खुद के ही हाथो में हैं बस उसे समझने के लिए
“बस एक पल चाहिए “•••••••
जी हाँ! “बस एक पल चाहिए”•••••••••••••
— सरिता श्रीवास्तव

सरिता श्रीवास्तव

जिला- बर्धमान प्रदेश- आसनसोल, पश्चिम बंगाल