भजन/भावगीत

तीज

बड़ भाग मेरे जो मैने पाया;
शिव जी को जो मैने ध्याया।
शिव ने दिया मुझे वरदान;
मांग सिन्दूर अङ्क सन्तान।
जग मे मेरा मान बढ़ाया;
विपदा ने जब मुझे घेराया।
घटने पाया कभी न मान;
शिव ने दिया मुझे वरदान।
मै तो शिव की दासी हूं;
शिव दरसन की प्यासी हूं।
शिव जिन मुझे नहीं विश्राम;
शिव ही मेरे मान-सम्मान।
अस्तित्व विहीन जीवन था;
शिव नाम ही तन-मन मेरा।
शिव जिन कहाँ भूख और प्यास;
शिव ही मेरे श्वास-प्रश्वास।
आँखों में है शिव तस्वीर;
शिव ही मेरे जगत के वीर।
शिव से मैने सब कुछ पाया;
व्रत तीज से जोकुछ ध्याया।
जग मे बढ़ा मान-सम्मान;
शिव ने दिया मुझे वरदान।
बड़ भाग मेरे जो मैने पाया;
शिव जी को जो मैने ध्याया।
शिव ने दिया मुझे वरदान;
मांग सिन्दूर अङ्क सन्तान।

— रश्मि पाण्डेय

रश्मि पाण्डेय

शिक्षिका व कवयित्री बिन्दकी-फतेहपुर,उ0प्र0 चलदूरभाष-9452663203