कविता

प्रेम

प्रेम अमर रत्न की ,
वो एक मुस्कुराहट है ,
जिस रत्न से हम सराबोर हैं ,
नभ की अभिकल्पनाओं में ,
जीवन तरंगित हुआ
मन पुलकित हुआ ,
मन द्रुम्लित हुआ ,
नेह नयनों की आभा ,
प्यार के फूल में ,
दिल विस्मित हुआ !
— निकिता कुमारी

निकिता कुमारी

युवा कवयित्री एवं छात्रा चैनपुर, सीवान, बिहार पिन- 841203