कविता

वे लोग

जीवन के दुर्गम पथ पर,
आते जाते हुए
पग दो पग साथ निभाने को
मिल जाते हुए
वे लोग।

जग में देखें मैंने बहुतेरे
मुस्कान बिखेरते हुए
अनजानो में भी अपनों को
पा जाते हुए,
वे लोग।

जब जीवन निशा आई गहन
तब स्वयं आगे आते हुए
प्रज्ज्वलित कर आस दीप को
साहस दिलाते हुए
वे लोग।

जब नियति कष्ट लिए आई
तब अपने हाथ बढ़ाते हुए
उन कठिनाइयों में भी
साथ निभाते हुए
वे लोग।

— प्रियंवदा तिवारी

प्रियंवदा तिवारी

भोपाल