संस्मरण

देवी माँ चंडी का रूप एक बार नही कई बार धारण कर चुकी हूँ…!!

नवरात्रि शुरू होने वाले हें,इस दौरान देवी के नो रूपों की पूजा होती है!हम नारी को भी देवी कहते हें!स्त्री होने के नाते मेरे जीवन में वह पल कई बार आये जब देवी माँ चंडी के रूप को खुद में महसूस कर ग़लत के ख़िलाफ़ उठ खड़ी हुई!
हमेशा से झाँसी की रानी कहलाती आई हूँ!बचपन में तो इतनी समझ नहीं थी,जैसे जैसे थोड़ी बड़ी हुई,माँ के प्रति दादी के व्यवहार पर कक्षा 8 से आवाज़ उठानी शुरू की!अपने मम्मी-पापा के ख़िलाफ़ एक आवाज़ किसी की नहीं सुनी!बात 2003 की है!बी०अ० फ़र्स्ट ईयर में आई तब मम्मी ईश्वर के घर चली गईं!हॉस्टल से जब छुट्टीयों में घर आती तब लड़के फ़ोन करके परेशान करते!पापा के ऑफ़िस जाते ही लैंडलाइन फ़ोन की घंटियाँ बजनी शुरू हो जाती!एक बार एक लड़के ने कहा,तुम तो अकेली रहती हो,इकलोती हो,अपने पापा को क्या बताओगी!!उसको बस इतना बोली की अब तो तेरे पापा ही तुझे बताएँगे!शाम को पापा ऑफ़िस से आए तब सारी बात बताई उन्हें!फ़ोन नम्बर की लिस्ट निकाल कर तीन-चार लड़कों के घर पहुँच गये हम!बिना लड़े पापा ने बस इतना कहा की आपके घर से फ़ोन आते हें,अब नहीं आने चाहिए!अगले दिन से फ़ोन आने बंद हो गये!एक बार बी०अ० करते वक्त हॉस्टल से ऑटो करके बस स्टैंड पहुँच रही थी,बाईक पर एक लड़का पीछा करते हुए बस स्टैंड पहुँच कर परेशान करने लगा!शोर मचा दिया मैंने लोग एकत्र हो गये,एक बुजुर्ग अंकल ने थप्पड़ मारा उसको,वो सारी-सारी कहता रह गया!
एक बार और अम०अ० करते वक्त ट्रैवल्ज़ बस में सिंगल स्लीपर बुक था,घर से वापिस हॉस्टल जा रही थी!पापा ने मम्मी के जाने के बाद मुझे बोहोत स्ट्रोंग बनाया,हमेशा अकेले ही सफ़र करती थी!बस में चड़ी,अपने स्लीपर तक पहुँची तो देखा ड्रिंक किए हुए दो जने बेठे हुए थे!बार-बार बोलने पर भी जब नहीं हटे तो पूरी बस में तूफ़ान मचा डाला मैंने और अपनी सीट पा कर ही मानी!सुबह जब हॉस्टल पहुँच कर पापा को फ़ोन करके बताया तो बोले शांति से बिना तूफ़ान लाए तो तू पहुँच ही नहीं सकती!पापा ने कभी मुझे बेटा नहीं कहा,हमेशा गर्व से बेटी ही कहा!अपनी 6 साल की इकलोती बिटिया को भी यही सीख दूँगी की ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ बिना डरे आवाज़ उठाये!नारी के अंदर देवी माँ के आशीर्वाद से उनके नो के नो रूप विराजमान हें!देवी की शक्ति के आगे तो समस्त देवता भी नतमस्तक हें!देवी सर्वशक्तिमान हैं!चित्रकला में अम०अ० करते वक्त नारी-अंतर्मन की पीड़ा पर सात पेंटिंग बनाई,जिसका शो टी०वी० पर वर्ष 2011में प्रसारित हुआ!उसके बाद वर्ष 2013 में,27 वर्ष की उम्र में भारतीय लघुचित्रों में देवियों का अंकन विषय पर चित्रकला विषय में पी०अच०डी० की डिग्री प्राप्त की!मेरा देवियों के विषय में पी०अच०डी० करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि समाज में नारी रूपी देवी की स्तिथि में सुधार आ सके और नारी रूपी देवी पर अत्याचार बंद हो!एक तरफ़ नवरात्रि में कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर पूजा जाता है वही दूसरी ओर कन्या भ्रूण हत्या जैसे पाप समाज में आज भी हो रहे हें!माँ सरस्वती के आशीर्वाद से गाँवों के स्कूल में जा कर बच्चों को शिक्षा का महत्व क़रीब 15 साल से बताती आ रही हूँ!देवियों पर ही डी०लिट०(डॉक्टर ओफ़ लिटरेचर)की सबसे उच्च डिग्री आगामी 5 वर्ष में पूरी करूँगी!
डॉक्टर मिली भाटिया आर्टिस्ट

डॉ. मिली भाटिया आर्टिस्ट

रावतभाटा, राजस्थान मो. 9414940513