कविता

सघंर्ष

सूर्यं की तरह अटल
प्रतिदिन प्रतिपल
अनवरत सकंल्प ले
सघंर्ष की नीवं रख
तू आगे बढ़!!!
बाधा कोई भी आए
डरना नही घबराना नही
गिर उठ सभंल
सघंर्ष की नीवं रख
तू आगे बढ़!!!
सत्य अहिंसा अपनाकर
धर्म का पथ प्रशस्त कर
बिना रूके बिना ठहरे
सघंर्ष की नीवं रख
तू आगे बढ़!!!
विश्वास का दीप जलाकर
दृढ़ लक्ष्य साधकर
कर्तब्य पथ पर
सघंर्ष की नीवं रख
तू आगे बढ़!!!
— प्रियकां पान्डेय त्रिपाठी

प्रियंका त्रिपाठी

BSc(Maths),DCA,MCA,BEd शाह उर्फ पीपल गाँव IIIT Jhalwa प्रयागराज उत्तरप्रदेश