कविता

सिर्फ धनवानों की चिंता

न मजदूरों की चिंता,न किसानों की चिंता,
कुछ लोगों को सिर्फ धनवानों की चिंता।
न खेती की चिंता,न बागवानी की चिंता,
कुछ लोगों को सिर्फ अडानी अंबानी चिंता।
न शिक्षा की चिंता,न स्वास्थ्य की चिंता,
कुछ लोगों को सिर्फ अपनी स्वार्थ की चिंता।
न युवाओं की चिंता,न बुजुर्गों की चिंता,
कुछ लोगों को सिर्फ अपनी कुतर्को की चिंता।
न सिंचाई की चिंता,न उर्वरक की चिंता,
कुछ लोगों को सिर्फ सामंती वर्ग की चिंता।
न कानून की चिंता,न संविधान की चिंता,
कुछ लोगों को सिर्फ झूठे अभिमान की चिंता।
न महिलाओं की चिंता,न युवतियों की चिंता,
कुछ लोगों को सिर्फ गलत नीतियों की चिंता।
न देश की चिंता,न किसी पड़ोस की चिंता,
कुछ लोगों को सिर्फ अपने गणवेश की चिंता।
न बेरोजगारी की चिंता,न मंहगाई की चिंता,
कुछ लोगों को सिर्फ धनी व्यवसाई की चिंता।
न उद्योगों की चिंता,न व्यापार की चिंता,
कुछ लोगों को सिर्फ कहां बने सरकार की चिंता।
न संस्कृति की चिंता न समाज की चिंता,
कुछ लोगों को कैसे हो धार्मिक विवाद की चिंता।
न मजदूरों की चिंता,न किसानों की चिंता,
कुछ लोगों को सिर्फ धनवानों की चिंता।
— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम

गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम

शिक्षक और सामाजिक चिंतक देवदत्तपुर पोस्ट एकौनी दाऊदनगर औरंगाबाद बिहार पिन 824113 मो 9507341433

One thought on “सिर्फ धनवानों की चिंता

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छा लिखा . सब्र करो , पन्दरा पन्दरा लाख सबी को मिलने वाले हैं .

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