लघुकथा

आखिरी वीडियो

 

“हाँ हाँ….! जाकर डूब मर ..लेकिन मुझे अपनी शक्ल न दिखाना !”

” देखो..! मैं सच में डूब कर मर जाऊँगी नदी में !”

” तो मना किसने किया है ? जा अभी चली जा …और हाँ मरने से पहले अपना एक वीडियो बनाकर भेज देना ताकि सबको पता चल जाए कि तूने अपनी मर्जी से आत्महत्या किया है।”

“ठीक है ..भेज दूँगी .!” कहकर सुबकते हुए रोशनी तेज कदमों से घर से बाहर निकल गई।

नदी किनारे पहुँचकर उसने अपना आखिरी वीडियो बनाया और इकबाल को भेजने के बाद वह नदी में छलाँग लगाने जा ही रही थी कि तभी उसकी अंतरात्मा चित्कार कर उठी, ‘ बेवकूफ लड़की ! यह क्या करने जा रही है तू ? इससे तुझे क्या हासिल हो जाएगा ? तेरी खुदकुशी से क्या यही संदेश नहीं जाएगा कि जब तक सह सको ,किसी के जुल्म सहो और जब जुल्म की इंतेहा हो जाए तो खुदकुशी कर लो… और इस खुदकुशी की वजह बननेवाले को बेदाग कानून से बच जाने दो।.. जरा सोच , आज तूने यह कदम उठाया तो कल और न जाने कितने इकबाल पैदा हो जाएंगे जो तुझ जैसी रोशनियों को जलील करके खुदकुशी को मजबूर कर देंगे । क्या तू वाकई ऐसा चाहती है ?’

” नहीं ….! ” अचानक उसके मुँह से एक गुर्राहट सी निकली और चेहरे पर उभर आए थे सख्त भाव ! आँखों में दृढ़ इरादों की नई चमक लिए उसके कदम मुड़े और तेजी से पुलिस स्टेशन की तरफ़ बढ़ने लगे।

 

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।