कविता

सब मिलजुल कर योग करें

सब मिलजुल कर योग करें,अपना जीवन धन्य करें ।
योग से सब लोग दूर हो रहे बच्चे बूढ़े और जवान,
मोबाइल सब चिपक गए जैसे हो ये उनकी जान।
मिलने का अब टाइम नहीं हैं कैसे योग की बात करें,
सब मिलजुल कर योग करें,अपना जीवन धन्य करें।1।
दूर हो रहे माँ बाप से बच्चे दूरियाँ अब तो बढ़ती जाएं,
पापा पर है काम का प्रेशर ,मम्मी कैसे ध्यान लगाएं ?
नव युवा बेचैन बहुत है किससे मन की बात करें ,
सब मिलजुल कर योग करें,अपना जीवन धन्य करें।2।
दूर होगी ये बेचैनी काम का प्रेशर होगा कम
प्रति दिन मिलकर योग करें निरोग रहेगें हम ।
योग ध्यान, व्यायाम क्रिया कीहम सब मिलकर बातकरें
सब मिलजुल कर योग करें,अपना जीवन धन्य करें।3।
योग ध्यान व्यायाम क्रिया में शक्ति है अपरंपार ,
इसको निस दिनअपनाने से ना होए कोई बीमार।
योग ध्यान व्यायाम क्रिया से अपने मन को शुद्ध करें,
सब मिलजुल कर योग करें,अपनाजीवन धन्य करें ।4।

— डॉ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

पिता का नाम-श्री बनवारी लाल श्रीवास्तव शिक्षा -एमएससी ,बीएड, पीएचडी लेखन विधा- कैरियर आलेख ,बाल साहित्य सम्प्रति- शासकीय शिक्षक अन्य -स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन राव गंज कालपी ,जालौन उत्तर प्रदेश पिन 285204 मोबाइल नंबर945131813 ईमेल om_saksham@rediffmail.com