कहानी

बिम्ब प्रतिबिम्ब (भाग 6)

अंतिम टेस्ट मैच की हम सभी को प्रतीक्षा थी. इंग्लैंड की टीम में एक बदलाव था, एक नया, बाएं हाथ का स्पिन गेंदबाज उनकी टीम में खेल रहा था. दोपहर में नियत समय पर हम सभी अपने अपने टीवी सेट के सामने जम गए थे और मैच का आनंद ले रहे थे. यह मैच दर्शन का अंतिम मैच होने वाला था, और उसके सामने अभी भी चार विकेट लेकर छः सौ विकेट और छः हजार रन का आंकड़ा छूने का लक्ष्य शेष था. टॉस भारत ने जीता और पहले बल्लेबाजी करने का निश्चय किया…
“भारत की सलामी जोड़ी पहले सत्र में एक सौ तीन रन बना कर लंच के लिए गयी थी… लंच के ठीक बाद इंग्लैंड ने नए स्पिनर गोल्डी को गेंद थमा दी है. गोल्डी टेस्ट में आगाज करने अपने रन अप पर पंहुच चुके है… सामने अनुभवी भारतीय सलामी जोड़ी है जिसे स्पिन खेलने का पूरा पूरा अनुभव है… देखते हैं, गोल्डी का कैसे स्वागत किया जाता है… अपने छोटे से रन अप से गोल्डी ने फेंकी गेंद और… आउट…”
“बाएं हाथ से फेंकी यह गेंद, ऑफ स्टंप के बाहर गिरी और गिर कर तेज होते हुए भीतर की और आई. बल्लेबाज जब तक बल्ला आगे बढ़कर विकेट कवर करते, गेंद ऑफस्टंप के ऊपरी हिस्से पर जा लगी. जी हाँ, अपने पहले ही टेस्ट की पहली ही गेंद पर गोल्डी ने विकेट झटक कर टायरिल जॉनसन और डिक होवार्थ की श्रेणी में अपना नाम लिखा लिया, जिन्होंने ओवल के मैदान पर डेब्यू किया था. लॉर्ड्स पर यह करिश्मा करने वाले गोल्डी पहले खिलाड़ी बन गए हैं…”
मैदान पर अंग्रेज खिलाड़ी चहक रहे थे और अगला भारतीय खिलाड़ी आ गया… तीन गेंद बाद फिर से एक विकेट गिरा… फिर से ऑफ स्पिन, जिसे ऑफ ब्रेक ही कहा जाना चाहिए, अचानक स्टंप में आ घुसी. भारतीय खिलाड़ी चूंकि गोल्डी के विरुद्ध पहले खेले नहीं थे, अत: उसके बोलिंग एक्शन तथा गेंद पकड़ने के तरीके से परिचित नहीं थे.. गोल्डी की गेंद गिरने के बाद और तेज हो जाती थी, जिससे बल्लेबाज के अनुमान ध्वस्त हो चले. चायकाल के ठीक पहले वाली गेंद पर भारत का पांचवाँ विकेट गिर चुका था, अब तक तीन बल्लेबाज क्लीन बोल्ड और दो पगबाधा के शिकार हुए थे. दर्शन अगले बल्लेबाज के रूप में तैयार था.
चाय पीते पीते, दूसरी छोर पर मोर्चा संभाले बाएं हाथ के बल्लेबाज ने दर्शन को चेताया, “प्राजी, इसको खेलने के लिए गार्ड ऑफ स्टंप पे लेना और बैकफुट पर खेलना… रन मैं बना लूँगा, आप तो बस विकेट बचा लेना…” दर्शन ने अपने कप्तान की ओर देखा, वह भी दो रन बना कर पगबाधा आउट हो चुका था, लेकिन इस रणनीति से सहमत था. दर्शन ने सिर्फ सर हिलाया और अपने साथी के कंधे पर हाथ रख दिया…
“चायकाल के बाद का खेल आरम्भ हो चुका है. इंग्लैंड ने परम्परागत फील्ड सजाई है. उधर, नॉन स्ट्राइकर छोर पर अपना अंतिम टेस्ट खेलने उतरे दर्शन सिंह उतरे हैं. वे अपने टेस्ट कैरियर में छः हजार एक सौ बीस रन बना चुके हैं और स्पिन गेंदबाजी खेलने का अच्छा अनुभव रखते हैं… देखते हैं आज गोल्डी का सामना वे कैसे करेंगे…”
चाय के बाद दूसरा ओवर गोल्डी को फेंकना था और दर्शन को गार्ड लेना था… अम्पायर, गोल्डी और कमेंटेटर सहित सभी दर्शक चकित रह गए, दर्शन ने बाएं हाथ के बल्लेबाज की तरह गार्ड लिया.. कमेंटेटर ने अपना पूरा अनुभव झोंक दिया..”
“ और हमारे सामने जो हो रहा है, वह किसी करिश्मे से कम नहीं… अपने अंतिम टेस्ट मैच में गोल्डी की रणनीति को बेअसर करने के लिए दर्शन ने खब्बू बल्लेबाज की तरह खेलने का फैसला किया है… दर्शकों को याद दिला दूं, भारत में वर्ष 1982 में सुनील गावस्कर ने रणजी ट्राफी में रघुराम भट्ट की ऑफ स्पिन का इसी तरह सामना किया था और वे आउट नहीं हुए थे. लेकिन, बिना किसी अभ्यास के, अचानक अपना हाथ बदलना बल्लेबाज और टीम के लिए जोखिम भरा हो सकता है…”
टीवी से सामने बैठे बैठे मैं शर्त लगा सकता था कि इसमें कोई जोखिम नहीं था. गोल्डी की पहली ही गेंद पर दर्शन ने स्क्वायर लेग अम्पायर के बगल से चौका निकाल दिया. गोल्डी की ऑफ स्पिन अब दर्शन के लिए लेग स्पिन थी और लेग स्पिन खेलने में दर्शन सदा से माहिर रहा था…
भारत के दोनों खब्बू बल्लेबाज खेलते रहे. गेंद उनके पैड पर भी टकरातीं रहीं, लेकिन बाएँ हाथ के स्पिनर की बाएं हाथ के बल्लेबाज को फेंकी लेग स्पिन पर पगबाधा आउट नहीं दिया गया, क्योंकि गेंदें लेग स्टंप के बाहर गिर रही थी… अंतिम घंटे में नयी गेंद लेकर तेज गेंदबाजी भी आजमाई गयी लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ, इस प्रकार पूरा सत्र खेल कर दोनों बल्लेबाज नाबाद वापस लौटे…
अंग्रेज मीडिया पूरी तरह दर्शन के पीछे लग गया, लेकिन, चूंकि दर्शन आउट नहीं हुआ था, उससे बातचीत करना या संपर्क करना किसी के लिए संभव नहीं था. शाम को होने वाली टीम मीटिंग में कप्तान ने दर्शन के साहस की प्रशंसा की, पर चिंता भी जताई, “प्राजी, कल खब्बे की सज्जे?”
दर्शन ने उसे आश्वस्त किया, “फिकर नॉट, पाप्पे, वेखांगे…”
दर्शन अगले दिन भी बाएं हाथ से ही खेला. अंग्रेज गेंदबाजों ने उसके लिए जो रणनीति बना रखी थी, वह बेकार हो गयी. क्योंकि दायें से बाएं हाथ बदलते ही खेल बदल चुका था. अब दर्शन उन सभी क्षेत्रों में रन बना रहा था, जिसमें उससे अपेक्षा नहीं की जा रही थी. भारत का स्कोर चार सौ पंहुचा कर अंतिम बल्लेबाज आउट हो गया, जबकि दर्शन अभी भी शतक लगा कर दूसरे छोर पर खेल रहा था. पैवेलियन लौटने तक, दर्शन के लिए तालियाँ बज रहीं थीं, सारे दर्शक खड़े थे… अंग्रेज दर्शकों में यह खेल भावना सदा से रही है, वे अच्छे खेल और अच्छे खिलाड़ी दोनों को सराहते हैं, भले वह प्रतिद्वंदी टीम का ही क्यों न हो..
यह दूसरे दिन के खेल का दूसरा सत्र था. अब भारत को क्षेत्र रक्षण करना था… दर्शन अपनी पसंदीदा पोजीशन कवर पर खड़ा था और भारत की ओर से पहला ओवर फेंका जा रहा था… पहली तीन गेंदें सीधे सीधे गेंदबाज, बल्लेबाज और विकेट कीपर तक सीमित रहीं, लेकिन चौथी गेंद पर बल्लेबाज ने कवर ड्राइव लगाया, गेंद दर्शन के बाईं ओर आ रही थी… दोनों बल्लेबाज आश्वस्त थे कि दायें हाथ का खिलाड़ी होने से दर्शन को गेंद के पीछे भाग कर रोकने में अतिरिक्त समय लगेगा. फिर गेंद उठाकर फेंकने में हाथ बदलने का समय भी लगेगा, इस बीच दो रन लिए जा सकते हैं. लेकिन जब तक वे दोनों एक रन पूरा करते दर्शन गेंद तक पंहुच गया, और बाएं हाथ से ही गेंद उठा कर उसने जो फेंकी तो वह सीधे विकेट पर जा लगी, और अभी बल्लेबाज क्रीज के बाहर ही था… सभी लोग अचंभित थे… दर्शन से यह उम्मीद किसी को नहीं थी… फिर भी, माना यही जा रहा था कि कई बार के अभ्यास और थोड़ी किस्मत के सहारे दर्शन का थ्रो एकदम सटीक लग गया.
पहला बोलिंग बदलाव लिया गया. इंग्लैंड का स्कोर अब एक विकेट पर सत्ताईस रन था. सामने चार सौ रनों के लक्ष्य को देखकर बैटिंग बहुत संभल कर की जा रही थी… एक दो विकेट गिरने पर दबाव बढ़ सकता था, इसलिए यह सही समय था गेंदबाजी में परिवर्तन का, और इसीलिये दर्शन को बुलवाया गया…
दर्शन ने गेंद अपने दाहिने हाथ में पकड़ी और विकेट की देखा.. अब वह समय आ गया था, जिसके लिए उसने पिछले तीन माह कड़ा अभ्यास किया था… वह अम्पायर के पास गया और कहा, “ओवर द विकेट, लेफ्ट आर्म…”
अम्पायर दर्शन को जानता था, उसने अंगरेजी में पूछा कि वाकई तुम बाएं हाथ से ही गेद फेंकोगे? सामने खेल रहा बल्लेबाज भी दर्शन के सामने पहले खेल चुका था, इसलिए उसे भी भरोसा नहीं हुआ, उसने भी दर्शन से यही पूछा.
दर्शन ने फिर से सर हिला कर हां कर दी… मिड ऑन पर खड़े भारतीय कप्तान से रहा नहीं गया… वह तुरंत दर्शन के पास आया. “प्राजी, की करदे हो तुस्सी, नो मोर एक्सपेरिमेंट…”
दर्शन ने उसकी बात अनसुनी कर दी और अम्पायर से फिर से अनुरोध किया. नॉन स्ट्राइकर बल्लेबाज ने अपना स्थान लिया और चिल्ला कर अपने साथी को चेताया, “वो लेफ्ट से ही गेंद करेगा, संभल कर…”
अपने लम्बे रन अप पर भागते हुए दर्शन ने अम्पायर को पार किया और क्रीज में पैर रखते हुए ही गेंद फेंकी, गेंद ऑफ स्टंप के बाहर गिरी और तेजी से भीतर आई… विकेट पर गेंद लगने की ध्वनि स्टंप माइक पर सुनाई दी, क्षणांश को सन्नाटा हुआ और फिर गगनभेदी शोर से स्टेडियम गूँज गया..
सभी भारतीय खिलाड़ी भी चौंक गए थे… दर्शन ने अपनी पूरी गति से, बाएं हाथ से, ऑफ स्टंप से चार इंच बाहर सटीक पूरी लम्बाई की गेंद फेंकी थी जो इनस्विंग हो कर विकेट में लगी. क्रिकेट की भाषा में इस पर बल्लेबाज आउट न हो, इसकी सम्भावना एक प्रतिशत भी नहीं होती… बल्लेबाज दर्शन को दायें हाथ से गेंद फेंकता कई बार देख चुका था, आमने सामने भी और विडियो पर भी… लेकिन, यह गेंद उसके लिए अप्रत्याशित थी… दर्शन के पास से निकलते हुए उसने कहा, “समथिंग इज नॉट ओके, मेट…” यह सभी समझ रहे थे कि कुछ तो गड़बड़ है, लेकिन क्या गड़बड़ है, बीच मैदान में किसी को समझ नहीं आ रहा था… जो लोग सब समझ रहे थे, इनमें एक भारत में था, एक अमेरिका में और एक दर्शक दीर्घा में.
दर्शन ने अगली दो गेंद पर दोनों अगले बल्लेबाजों को आउट किया और अपने कैरियर की पहली हैट ट्रिक बनाई. उसी ओवर की अंतिम गेंद पर एक और विकेट लेकर उसने अपने छ: सौ विकेट भी पूरे कर लिए… शेष मैच भी इसी प्रकार हुआ कि दर्शन के अप्रत्याशित, बाएं हाथ के इनस्विंगर, आउटस्विंगर प्रदर्शन से मेजबान टीम पूरी तरह उखड़ गयी.
भारत ने इंग्लैंड को उसी के खेल में, उसी के दांव से मात दे दी. इंग्लैंड की टीम पारी से मैच हारी और साथ ही श्रृंखला भी. दर्शन को मैन ऑफ़ द मैच का पुरस्कार मिला. पुरस्कार लेकर उसने अपने बूट टांग देने की घोषणा कर दी… कई अखबारों ने और पत्रकारों ने उसका साक्षात्कार करना चाहा, पर उसने सिर्फ इतना कहा, “मेरे लिए स्व. विजय मर्चेंट का कहा वाक्य आदर्श है, संन्यास तब लेना है जब लोग पूछें क्यों…, न कि तब, जब लोग कहें, आप रिटायर क्यों नहीं हो जाते…”

क्या यह भेद खुलेगा…? अंतिम भाग में…

— रंजन माहेश्वरी

रंजन माहेश्वरी

प्रोफेसर, इलेक्ट्रॉनिक्स राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा (राज.) - 324010. निवासः 1002, Elanza, श्रीनाथपुरम, कोटा, 324 010. ब्लॉग nbt.in/manranjan