कविता

अपनी कोशिश करते रहो

काम बने या बिगड़े, तुम कोशिश करते जाना।
बढ़ते रहें जो कदम तेरे, मिलके रहेगा मंजिल का ठिकाना ।।

कभी ना ठहरता वक्त का पहिया, उसने तो बस चलना जाना।
हासिल करना है जो लक्ष्य तुझे, वक्त के संग चलते जाना।।

उनकी होती कश्ती पार, जिनके हाथों में है पतवार l
कश्ती उनकी डूब जाती, जिनकी गैरों के हाथ में हो पतवार।।

हालातों से लड़ना सीखो, तूफानों से टकराना।
हौसले हो ऊंची उड़ान के, तो पंख लगाने से क्या डरना।।

कर्मों से ही किस्मत बदलती, रख भरोसा कर्मों पर।
खुद पर जो रखे भरोसा, वह बदलता है हर मंजर।।

मंजिल हो आखिरी ठिकाना, लक्ष्य हो निगाहों में।
कर्म पथ पर निकल पड़ों तुम, हों मोड कितने ही राहों में ।।

— सविता जे राजपुरोहित

सविता जे राजपुरोहित

स्नातक छात्रा जन्म तिथि 11 सितम्बर 2001 पुत्री श्री जबरा राम जी राजपुरोहित गांव :- दामण, तहसील :- बागोड़ा, जिला :- जालौर, राजस्थान (भारत) । =} काव्य दीपमाला (काव्य संग्रह) प्रकाशित =} काव्य प्रभात (काव्य संग्रह) प्रकाशित =} एक किताब""हम भारत के लोग""में सहभागिता, मध्यप्रदेश से =} प्रेम विषय पर लिखित किताब में एक रचना को जगह मिली ,,, हरियाणा के मीन साहित्य संस्कृति मंच पर =} कर्म और कलम शीर्षक से एक रचना इन्दौर समाचार में प्रकाशित =} A poem has been selected to be published in the World Book Records (children's literature) =} 19 की आयु में 7 सम्मान हासिल 1.) साहित्य रत्न सम्मान2021 2.) साहित्य साधक सम्मान2021 3.) फूलवती देवी साहित्य सम्मान2021 4.) साहित्य भूषण सम्मान 2021 5.) राजस्थान सरकार द्वारा गार्गी पुरस्कार से सम्मानित2020 6.) श्रेष्ठ भारत संस्था वणधर द्वारा सम्मानित2019 7.) संस्कृति ज्ञान परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर ब्लॉक स्तर पर सम्मानित2018