कविता

नवल वर्ष

 स्वागत है जीवन में नवल वर्ष का
 आए हैं  नूतन निर्माण लिए
 इस महा जागरण के युग में
 जागृत जीवन अभिमान लिए!!
 बीते बरस की बातों को दे बिसार
 लेकर आया है यह खुशियाँ और प्यार
 खुली बांहों से करते हैं आपका स्वागत
 और ईश्वर को करते हैं ह्रदय से आभार!!
 दीन दुखियों को त्राण, मानवता को कल्याण मिले
 मुर्दा शरीर में प्राण, प्राणों में नव अरमान मिले
 युगो युगो तक जो पीसते आए
 कृषकों को जीवनदान, मजदूरों का नव प्राण मिले!!
 संसार क्षितिज पर महाक्रांति को
 ज्वालाओ के है गान लिए
 हमारे भारत के लिए नई
 प्रेरणा, आत्मविश्वास,नया उत्थान लिए!!
 इस नव वर्ष में सब के चेहरे खिल उठे
 भूखे, नंगे को हर रोज एक निवाला मिल जाए
 हर वीरों के घर में माँ की आश पूरी हो
  देश द्रोही उसे सजा, ना निर्दोष आतंक में मारा जाए!!
निश्चय ही कल की सुबह और चमकीली होगी
कल चंदा की किरण और चटकीली होगी
खुल जायेंगे सब के दिल के दरवाजे
आँखे अपनी कों आँखों कों पहचान सकेगी!!
— राज कुमारी

राज कुमारी

गोड्डा, झारखण्ड